रामनाथी (गोवा) : यहां के श्री रामनाथ देवस्थान के श्री विद्याधिराज सभागृह में आयोजित सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में उपस्थित मान्यवरों को मार्गदर्शन करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहां कि, भारत में बहुसंख्यक समुदाय के शीर्षस्थ नेताआें को एकत्र आने में कानूनन प्रतिबंध है क्या ? इसका उत्तर ‘नहीं’ होते हुए भी प्रश्न क्यों निर्माण होते हैं ? इसका एकमात्र कारण है, भारत में बहुसंख्यकों को सनातन धर्म को संवैधानिक संरक्षण नहीं है ! इसलिए आज कोई भी उठता है और हिन्दुआें को अपराधी ठहराने का प्रयास करता है । विश्व के सभी देशों में उनके संविधान द्वारा वहां के बहुसंख्यकों का धर्म, संस्कृति, भाषा एवं हित को संरक्षण दिया गया है । केवल भारत ऐसा एकमात्र देश है कि जहां बहुसंख्यक हिन्दू होते हुए भी उन्हें संविधान द्वारा कोई संरक्षण नहीं दिया गया है । इसके विपरीत भारतीय संविधान ने अल्पसंख्यको के पंथ, संस्कृति, भाषा और हित को रक्षा प्रदान की है । यह संविधान के समता के तत्त्व के (अर्थात ‘लॉ ऑफ इक्वॅलिटी’ के) विरुद्ध है । भारत में बहुसंख्यक हिन्दुआें को धर्म, संस्कृति, भाषा एवं हित को संवैधानिक संरक्षण मिले, इसके लिए ही हिन्दू संगठनों का यह अधिवेशन है ।