संगीत, नृत्य, नशा, चित्र, छायाचित्र, मूर्ति, ये सब इस्लाम में प्रतिबंधित हैं । इस्लाम में निषिद्ध माने जानेवाले कृत्य करनेवालों को शरियत कानून के अनुसार कठोर दंड मिलता है । तब भी सलमान खान, आमिर खान आदि कलाकार चलचित्रों में काम करते हैं, मुसलमान राजनीतिक नेता दूरदर्शन पर बोलते हैं ! छायाचित्र खींचना भी प्रतिबंधित है, तब यह सब तो इस्लाम का उल्लंघन ही कर रहे हैं । ऐसे लोगों को मुसलमान कैसे कह सकते हैं ? ये तो छद्म मुसलमान हैं । वे पैगंबरों की शिक्षा का उपहास कर रहे हैं । इस्लाम के नाम पर स्वेच्छाचार का ‘लायसन्स’ लेकर, ये छद्म मुसलमान कार्यरत हैं । आज के मुसलमान स्वयं को कट्टरतावादी मानते हों और छोटी-छोटी बातों में इस्लाम का अनादर होने की आवाज उठाते हों; तब भी प्रत्यक्ष में यदि उन मुसलमानों की गिनती की जाए, जिन्हें शरियत में अपराध के लिए दिए जानेवाले दंड स्वीकार हैं और जो इस्लाम में प्रतिबंधित कृत्य नहीं करते, तो उनकी संख्या नगण्य है । इसलिए देश को वास्तविक खतरा, इन छद्म मुसलमानों से ही है, ऐसा प्रतिपादन प्रा. कुसुमलता केडिया ने ‘अवैध कृत्यों का प्रमाणपत्र लिए छद्म मुसलमान हिन्दू राष्ट्र के लिए चुनौती’ इस विषय पर किया ।
अधिवेशन के प्रथम दिन ‘संप्रदाय एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का शासन द्वारा किया जा रहा दमन’, ‘ज्ञाती संस्था एवं संप्रदाय के माध्यम से धर्म एवं संस्कृति की रक्षा’ आदि विषयों पर उपस्थित मान्यवरों ने हिन्दुत्वनिष्ठों का उद्बोधन किया । अधिवेशन के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता’ इस विषय पर भोपाल (मध्यप्रदेश) की धर्मपाल शोध पीठ के प्रा. रामेश्वर मिश्र, ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, कोलकाता की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के डॉ. शिवनारायण सेन, पुणे स्थित ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल, वाराणसी (उत्तरप्रदेश) के हिन्दू विद्या केंद्र की पूर्व निदेशक प्रा. कुसुमलता केडिया सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे । इस अधिवेशन में देश-विदेश के १५० से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ३५० से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति के श्री. सुमीत सागवेकर ने किया ।