भारत में रहकर, देश की सभी सुख-सुविधाआें का लाभ उठाकर अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर आज देशविरोधी वक्तव्य किए जा रहे हैं । इसके विरोध में कानून बनाने की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन गोरखपुर, उत्तरप्रदेश के अधिवक्ता पंडित शेष नारायण पांडेजी ने किया ।
अधिवक्ता पांडेजी द्वारा प्रस्तुत अन्य सूत्र
१. भारतीय संविधान में बहुसंख्यक हिन्दुआें की भावनाआें को आदर नहीं दिया गया है । धर्म की आधारशिला दूर कर भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाया गया है ।
२. आज न्यायव्यवस्था की दुर्दशा हो गई । न्यायपालिका न्याय देती है; परंतु उस पर कार्यवाही करने की व्यवस्था न्यायपालिका के पास नहीं है । उसके लिए कार्यपालिका पर निर्भर रहना पडता है । कार्यपालिका, न्यायपालिका और जनप्रतिनिधियों में मतभिन्नता होती है ।
३. संविधान के लिए जनता नहीं, अपितु जनता के लिए संविधान है, यह ध्यान रखना चाहिए ।
४. भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों को समानता के साथ कुछ विशेषाधिकार प्रदान करता है । जब कुछ हानि होनेवाली होगी, तो अल्पसंख्यक शरीयत का आधार लेते हैं और लाभ होनेवाला होगा, तब भारतीय संविधान का आधार लेते हैं । यदि यह ऐसे ही चलता रहेगा, तो एक दिन भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे ।
५. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को मतदान करने का अधिकार नहीं; परंतु भारत में अल्पसंख्यक मुसलमानों को है ।
६. संविधान की एक महत्त्वपूर्ण त्रुटि यह है कि संविधान ने प्रधानमंत्री को भारी मात्रा में अधिकार दिए हैं ।
७. धर्मपारायण लोगों की तुलना में धर्मविरोधी लोग अधिक निर्माण होने से देश नकारात्मकता की दिशा में जा रहा है । इसे रोकने के लिए धर्म के लिए जीवन समर्पित करने का, हिन्दू राष्ट्र के लिए जीतोड परिश्रम करने के लिए और संविधान की त्रुटियों को दूर करने का संकल्प करेंगे ।
अधिवेशन में उपस्थित रहने की लगन के कारण, यात्रा में असुविधा सहन करनेवाले अधिवक्ता पांडे एवं उनके सहयोगी !
ब्राह्मण विचार मंच के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष तथा गोरखपुर, उत्तरप्रदेश के अधिवक्ता शेषनारायण पांडे एवं उनके अन्य तीन सहयोगियों का गोवा के अधिवेशन में आने हेतु आरक्षित किए रेलगाडी के टिकटों में से केवल एक ही टिकट कन्फर्म हुआ था; परंतु उन्होंने गोरखपुर मुंबई एवं मुंबई से गोवा की कष्टदायक यात्रा पूर्ण कर, वे अधिवेश में उपस्थित रहे ।