सातवें अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंतर्गत ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ के द्वितीय दिन मान्यवरों द्वारा किया ओजस्वी मार्गदर्शन !
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि, ‘देश का संविधान कितना भी अच्छा हो, तब भी उसको क्रियान्वित करनेवाले राज्यकर्ता अच्छे होना आवश्यक है ।’ ‘उन्होने प्रश्न पूछा कि, क्या आज प्रशासकीय अधिकारी, राज्यकर्ता निःस्वार्थी हैं ? सातवें अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंतर्गत ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ के द्वितीय दिन के उद्बोधन सत्र में वे बोल रहे थे । इस सत्र का विषय था ‘सूचना के अधिकार का उपयोग कर सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरोध में लडने के लिए अधिवक्ताआें का संगठन ।’
इस अवसर पर व्यासपीठ पर हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, अकोला (महाराष्ट्र) के अधिवक्ता प्रशांत गोरे, हिन्दू जनजागृति समिति के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर भी उपस्थित थे ।
रमेश शिंदे ने कहा कि,
१. शिक्षा, पुलिस, सुरक्षा, न्याय, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार रच-बस गया है । सामान्य व्यक्ति प्रतिदिन इसे अनुभव कर रहा है । ‘मैं अकेला क्या कर सकता हूं ?’, इस विचार से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा, अपितु अधिक बढता है । यदि अधिवक्ता समाज को आधार दें, तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ के रूप में आदर्श राज्य व्यवस्था समाज के सामने खडी की जा सकती है । ‘ट्रान्स्परेन्सी इंटरनेशनल’ ने वर्ष २०१७ में दिए ब्योरे के अनुसार सर्वाधिक अर्थात ६९ प्रतिशत भ्रष्टाचार भारत में होता है । यही मात्रा पाकिस्तान में ४० प्रतिशत तथा चीन में २६ प्रतिशत है ।
२. व्यक्ति का भ्रष्टाचार सिद्ध होने पर, उस व्यक्ति और उसके परिवार की जानकारी पोस्टर के माध्यम से समाज में लगानी चाहिए; जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी ।
३. कर्मफलन्याय लागू होता है, इसलिए अधिवक्ताआें को सदैव सत्य के पक्ष में लडना चाहिए ।
केंद्रीय अन्वेषण विभाग के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखनेवाली व्यवस्था नहीं है !
पुलिस अधिकारी भ्रष्ट हों, तो उनकी शिकायत के लिए भ्रष्टाचारप्रतिबंधक विभाग है । भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार करें, तो केंद्रीय अन्वेषण विभाग में परिवाद कर सकते हैं; परंतु केंद्रीय अन्वेषण विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार करें, तो उनके लिए उत्तरदायी व्यवस्था नहीं है ।
आतंकवादियों को दंड देनेवाले न्यायाधीश को ‘जेड सिक्युरिटी’ देनी पडती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है !
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी का दंड दिया गया था । तत्पश्चात उन्हें ‘जेड सिक्युरिटी’ उपलब्ध करवाई जा रही है । आतंकवादियों को दंड देनेवाले न्यायाधीश को जेड सुरक्षा देना यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है ।
गिरी हुई समाज व्यवस्था पर एकमात्र उपाय है ‘हिन्दू राष्ट्र’ – श्री. श्रीकांत पिसोळकर
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के कारण समाज व्यवस्था गिर गई है तथा समाज की सात्त्विकता का स्तर भी गिर गया है । अनेक राष्ट्रीय और धार्मिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं तथा इस पर एकमात्र उपाय है ‘हिन्दू राष्ट्र’ ! अन्य धर्मियों को जिस प्रकार धर्मशिक्षा मिलती है, उस प्रकार हिन्दुआें को धर्मशिक्षा नहीं मिलती । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से समाज को धर्मशिक्षा देने की व्यवस्था की गई है । उसके लिए देशभर में धर्मशिक्षा वर्ग, धर्मसभा, राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलनों का आयोजन किया जाता है । श्री. पिसोळकर ने उपस्थित अधिवक्ताआें से आवाहन किया कि वे समिति के उपक्रमों को पुलिस, प्रशासन की अनुमति प्राप्त करवाने में सहायता करें ।