सप्तम् अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन को साक्षी मानकर उद्योगपति एवं आधुनिक वैद्य इनके संगठन हेतु नई संस्थाओं का शुभारंभ !

सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन !

१. अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों की फलनिष्पत्ती

इससे पूर्व संपन्न हुए छह अधिवेशनों के माध्यम से हमने हिन्दू समाज के विविध घटकों को संगठित करने हेतु विविध कृति के स्तर पर उपक्रमों का नियोजन किया एवं उसका क्रियान्वयन किया । इसी का फल है कि, आज इस व्यासपीठ के अंतर्गत उद्योगपति, विचारक, लेखक, पत्रकार आदि हिन्दू राष्ट्र का ध्येय रखनेवाले अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठित हो रहे हैं !

१ अ. अधिवक्ताओं के संगठन हेतु हिन्दू विधिज्ञ परिषद की स्थापना

छह वर्ष पूर्व हिन्दू समाज के विविध घटकों के संगठन की दृष्टि से, पहले चरण के रूप में हमने ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’ की स्थापना की थी । यह परिषद जब स्थापित हुई, तब अधिवेशन में उपस्थित ७ – ८ अधिवक्ताओं से यह कार्य आरंभ हुआ था । पिछले दो दिनों में ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’द्वारा इसी सभागृह में आयोजित किए ‘अधिवक्ता अधिवेशन’ में ८ राज्यों के ८० अधिवक्ता सहभागी हुए थे । हिन्दुत्व की रक्षा का व्रत लेकर तथा हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का ध्येय रखकर, ये अधिवक्ता कार्य कर रहे हैं । इस कार्य से एक आंधी निर्माण होने का अनुभव हमें शीघ्र ही होगा !

२. भावी संगठनात्मक कार्य की दिशा

हिन्दू राष्ट्र के संदर्भ में श्रद्धा रखनेवाले समविचारी हिन्दुओं का संगठन करने हेतु विविध घटकों को संगठित करनेवाले व्यासपीठ निर्माण करने हैं ! इस दिशा में ही हम इस सातवें ‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ को साक्षी बनाकर दो चरण आगे बढ़ाएंगे !

२ अ. संकट में फंसे हिन्दुओं की सहायता करने के लिए ‘आरोग्य सहायता समिति’ इस संगठन की स्थापना

पिछले छह अधिवेशनों में हमने ‘संकटकाल में हिन्दुओं की सहायता करने के लिए क्या किया जा सकता है ?’, इस दृष्टि से समय-समय पर विचार किया । इस दिशा में एक निश्चित चरण के रूप में विविध संकटों में फंसे हिन्दुओं की सहायता के लिए आज हम ‘आरोग्य सहायता समिति’ इस संगठन की स्थापना कर रहे हैं ! आधुनिक वैद्य (डॉक्टर्स), वैद्य, परिचारिका, पैथॉलॉजिस्ट, जैसे चिकित्सा क्षेत्र के हिन्दुत्वनिष्ठ व्यक्ति, इस संगठन के माध्यम से कार्य करेंगे । यह संगठन केवल संकट के समय ही सक्रिय रहेगा, ऐसे नहीं, तो पूरे भारत में हो रहा वैद्द्यकीय क्षेत्र का भ्रष्टाचार रोकने के लिए भी कार्य करेगा !

२ आ. हिन्दुत्वनिष्ठों को धर्मकार्य में सहायता करने के लिए ‘उद्योगपति परिषद’ की स्थापना

इस अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठ एवं अधिवक्ताओं सहित उद्योगपति भी बडी संख्या में सहभागी होते हैं ! हिन्दू धर्म, समाज और हिन्दुओं के संगठन के लिए, त्याग की भावना मन में लिए सैकडों उद्योगपति हर शहर शहर में हैं, परंतु वे बिखरे हुए हैं ! गत दो वर्षों से ऐसे उद्योगपतिं को संगठित करने हेतु एक व्यासपीठ होना चाहिए, ऐसी तीव्र आवश्यकता लग रही थी, इस अधिवेशन के माध्यम से उसे मूर्त स्वरूप प्राप्त होगा ! आरोग्य-क्षेत्र में कार्य करने हेतु ‘आरोग्य सहायता समिति’की स्थापना के उपरांत अब उद्योगपतिं के संगठन की भी स्थापना की जाएगी, इस संगठन का नाम है ‘उद्योगपति परिषद’ !

उद्योगपति परिषद का मुख्य ध्येय ‘हिन्दुत्व के कार्य की रक्षा, पोषण और अंत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’, ऐसा होगा ! ‘हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले संगठन, व्यक्तिगत स्तर पर कार्य करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ आदि को धर्मकार्य में सहायता करना, इसके साथ ही हिन्दुत्व का कार्य करते समय जो हिन्दुत्वनिष्ठ घायल हुए हैं, उन्हें औषधोपचार के लिए आर्थिक सहायता करना और हिन्दुत्व का कार्य करते समय, जिन हिन्दुत्वनिष्ठों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उनके सगे-संबंधियों की सहायता करना’, ऐसा इस परिषद का कार्य होगा !

‘उद्योगपति परिषद’ के माध्यम से उद्योगपतिं का संगठन करने के लिए श्री. खेमकाजी पूर्व भारत का, श्री. संजीव कुमारजी उत्तर भारत का और श्री. दिनेश एम.पी. जी दक्षिण भारत का दायित्व सम्हालेंगे !

‘इन दोनों संगठनों के कार्य और मनुष्यबल में उत्तरोत्तर वृद्धि हों, इसके लिए आप सभी सहयोग करें !’

– श्री. नागेश गाडे, केंद्रीय समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

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