माघ पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११४
शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती
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श्रीकाशीसुमेरु पीठके जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीका आवाहन
१५.२.२०१३ को वसंतपंचमीके दिन धार (मध्यप्रदेश) के श्री सरस्वती मंदिरमें (भोजशालामें) केवल हिंदुओंको पूजा करनेका अधिकार प्राप्त हो, मुसलमानोंको नमाज पढनेकी अनुमति न दी जाए, इस मांगके लिए बहुत दिनोंसे हिंदुओंका वैध मार्गसे आंदोलन चल रहा था; पंरतु अंततक इस मांगको भाजपने नहीं माना । इसके विपरीत, हिंदूद्रोही भाजप सरकारने यह आंदोलन अलग-अलग पद्धतियोंसे कुचलनेका ही प्रयास किया । भोजशाला मुक्तियज्ञ समितिके राष्ट्रीय संयोजक श्री नवलकिशोर शर्माको झूठे आरोपोंमें बंदी बनाकर उन्हें अमानवीय ढंगसे पीटना, कारागृहमें बंद करना, धारमें समूहबंदीके आदेश लागू कर हिंदुओंकी धार्मिक स्वतंत्रतामें बाधा डालना एवं वसंतपंचमीके दिन मुसलमानोंको प्रसन्न करनेके लिए हिंदुओंपर पुलिससे क्रूरतापूर्वक लाठी प्रहार करवाना, श्रीकाशीसुमेरु पीठके शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीको कष्ट देना आदि घटनाओसे भाजपा, अर्थात दूसरी कांग्रेस होनेका अनुभव हिंदुओंको अनुभव हुआ है । मुगलोंको भी लज्जा आए, ऐसे कृत्य भाजप सरकार एवं पुलिसने किए हैं । अतः, भाजपा सरकारकी मुगलाईसे तीव्र रुपसे पीडित हिंदुओने अब सीधे क्रांतिका अस्त्र उठा लिया है । यह निश्चित है कि हिंदुओके समर्थनमें शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, कुंभमेलेके संत-महंत, धर्माचार्योंके साथ राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी संगठन दृढतासे खडे हैं । अतः, इसका परिणाम भाजपा सरकारको आगामी चुनावमें भोगना ही पडेगा ! इस संदर्भमें श्रीकाशीसुमेरु पीठके जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वतीसे कुंभ मेलेमें दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि श्री. नित्यानंद भिसेने बातचीत की । वह बातचीत हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं ।
प्रश्न : धारके श्री सरस्वतीदेवीके मंदिरके लिए हिंदुओंको और कौन-से प्रयास करने चाहिए ?
मंदिरके विषयमें गांव स्तरपर जागृति करें !
शंकराचार्य : धारके श्री सरस्वतीदेवी मंदिरमें हिंदुओंको प्रतिदिन पूजा करनेकी अनुमति मिलनी चाहिए । मंदिरके विषयमें वहां गांवके स्तरपर जागृति करनी चाहिए । सप्ताहमें प्रत्येक शुक्रवारको श्री सरस्वतीदेवीके मंदिरमें उत्सव मनाना चाहिए, इससे श्री सरस्वतीदेवी प्रसन्न होंगी । समाजमें विद्यमान अज्ञान नष्ट होगा । सर्वत्र प्रकाश फैलेगा एवं शांति प्रस्थापित होगी !
प्रश्न : क्या आपको ऐसा लगता है कि धारकी घटनासे हिंदुओंका भाजपा परसे विश्वास उठ गया है ?
हिंदुओंको कुचलनेवाली हिंदूद्रोही भाजपा !
शंकराचार्य : भारतीय जनता पार्टीने मध्यप्रदेशमें मेरे साथ अत्यधिक अभद्र व्यवहार किया । शंकराचार्यका हिंदू धर्ममें सर्वोच्च स्थान होता है । फिर भी, भाजपाने मुझे धारमें श्री सरस्वतीदेवीकी पूजासे वंचित रखा एवं मुसलमानोंको सरकारी वाहनोंसे ले जाकर नमाज पढवाई । भाजपा एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहानका यही वास्तविक रुप है । भाजप सरकारने प्रथम हिंदुधर्मीयोंको श्री सरस्वतीदेवीकी पूजा करनेके लिए आमंत्रित किया एवं पूजा करनेवाले हिंदुओंपर ही क्रूरताभरा लाठी-प्रहार करवा दिया, जिसमें २५० निर्दोष हिंदू श्रद्धालुओंके सिर फूटे, हाथ-पांव टूटे ( तथा एककी मृ्यु हुई ) । यह भाजपाका विकृत रूप था । दर्शन एवं पूजाके नामपर भाजपने हिंदुओंको कुचला है ।
प्रश्न : हिंदु हितमें आपको कौन-सा विकल्प दिखाई देता है ?
हिंदू हितोंकी रक्षा करनेवालोंको सत्तामें लाएं !
शंकराचार्य : कुंभमेलेमें विविध स्थानोंपर आयोजित संतसम्मेलनों एवं धर्मसंसदोंमें मैं उपस्थित था । उसमें अधिकतर संतोंने श्री. नरेंद्र मोदीके हाथों देशका नेतृत्व देनेकी मांग की थी । श्री. मोदीका कार्य भी हिंदूहितका है । अंतमें कोई भी दल सत्तामें आए, सत्ताके प्रभावसे वह मुसलमानोंकी चापलूसी करने लगता है; क्योंकि इस देशमें हिंदू संगठित नहीं है । भारतमें हिंदुओंका अस्तित्व सबसे बडा अपराध सिद्ध होने लगा है । मुसलमानोंके एकगठ्ठा मतोंके कारण मुसलमान सरकारके जंवाई बन गए हैं । इसलिए, सरकार मुसलमानोंके तलवे चाटती है, उनकी प्रशंसा करती है एवं मुसलमानोंकी इच्छाके अनुसार कठपुतली समान नाचती है । इसलिए, हिंदुओंको जागृत एवं संगठित करना चाहिए । भाजपा एवं कांग्रेससहित सर्व राजनीतिक दलोंसे विचार-विमर्श कर हिंदूहितके विषयमें उनसे निर्णायक चर्चा करनी चाहिए । इससे अच्छा परिणाम निकलता है, तो ठीक, अन्यथा कोई ऐसा नया विकल्प ढूंढना पडेगा, जो हिंदुत्व, भारतकी अखंडता, एकता एवं शांतिकी रक्षा करेगा एवं राष्ट्रकी उन्नति तथा उत्कर्षके लिए भरपूर कार्य करेगा ।
प्रश्न : क्या गंगा नदीकी रक्षाके लिए कुंभमेलेमें निश्चित उपाय निकले ?
अ. गंगाके लिए प्रमाणिकतासे कार्य होना चाहिए !
शंकराचार्य : गंगा नदीके प्रदूषणके लिए कारखाने एवं नाले कारणभूत हैं । उनसे प्रतिदिन कई टन प्रदूषित जल गंगा नदीमें छोडा जाता है । गंगा नदीको ‘राष्ट्रीय नदी’ के रुपमें घोषित किया गया है; परंतु उसकी ओर इस दृष्टिसे नहीं देखा जाता । गंगा नदीके नामपर अनेक लोग बहुत पैसा कमाते हैं एवं सुविधाएं लेते हैं । गंगाके लिए प्रमाणिकतासे कार्य होना चाहिए ।
आ. संत-समाज आक्रमक हुआ, तो सरकार हिंदुओंके सामने झुकेगी !
संत-सम्मेलन एवं धर्मसंसदमें केवल प्रस्ताव पारित करनेसे गंगाका प्रदूषण नष्ट नहीं होगा । उसके लिए संतोंको आक्रमक होनेकी आवश्यकता है; परंतु यहां गंगाके प्रदूषणके नामपर समाचारपत्रोंमें बडे-बडे वक्तव्य कर प्रसिद्धि प्राप्त की जाती है एवं सायंकाल सरकारसे मैत्री की जाती है । अधितर संत-महंत एवं धर्माचार्योंका भी गंगाके विषयमें ऐसा व्यवहार है । धारके आंदोलनमें कितने संत खुलकर सामने आए ? इससे अनुमान लगाना संभव है । जिस दिन संत-समाज आक्रमक होगा, उस दिन सरकार व्यवस्था हिंदूहितके लिए झुकेगी । इस बातको मैंने अनुभव किया है । गंगाका प्रदूषण रोकनेके लिए मैंने १८ दिसंबरको सरकारको चेतावनी दी थी । तब भी कार्यवाही नहीं हुई । जनवरी, फरवरी महिनोंमें भी सरकारको सजग किया । ६ फरवरीको अंतिम चेतावनी देनेपर भी शासन व्यवस्था ढीली ही रही । इसलिए ७ फरवरीको प्रयागराजकी रेल बंद की । तत्पश्चात गंगाके पानीमें ६० प्रतिशत सुधार हुआ ।
इ. दोहरी भूमिका अपनानेवाले संत अर्थात दैत्यगुरु !
यदि संतगण एवं हिंदूधर्मीय आक्रमक हुए, तो सरकार हिंदुओंकी समस्याएं प्रलंबित रखनेका साहस नहीं करेगी; परंतु जबतक समस्याओंके नामपर ढोंग कर अपना स्वार्थ साधनेवाले संतगण हैं, तबतक समस्याएं प्रलंबित रहेंगी । दोहरी भूमिका अपनानेवाले संत दैत्यगुरु हैं, जो देवी-देवता एवं दैत्य दोनोंके सामने ‘जय हो’ कहते हैं । ये हिंदू धर्मीयोंके पतन एवं विनाशके कारण हैं ।
प्रश्न : हिंदू संगठनोंको क्या संदेश देंगे ?
हिंदुत्वनिष्ठ संगठन स्वार्थ छोडकर समष्टिके लिए कार्य करें !
शंकराचार्य : हिंदुत्वनिष्ठ संगठन व्यक्तिगत स्वार्थ छोडकर समष्टिके लिए प्रेरित होकर संगठित रुपसे कार्य करेंगे, तो असंभव कार्य भी सहज संभव होंगे । जितने हिंदुत्वनिष्ठ संगठन हैं, उन प्रत्येक संगठनके ४-५ पदाधिकारी एकत्र आएं एवं विचारोंका आदान-प्रदान करें । इससे सबके मन एक-दूसरेसे एकरुप होंगे । आपसमें संगठित होनेका भाव बढेगा । तत्पश्चात संगठित भावसे हिंदुत्वके लिए कार्य होगा !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात