सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्न
पणजी (गोवा) : हिन्दू राष्ट्र, भारत के बहुसंख्यक हिन्दुआें का प्राकृतिक अधिकार है । इसके लिए आवश्यक वैचारिक भूमिका एवं करने योग्य कृत्यों के विषय में दिशा देनेवाला सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन हिन्दुत्वनिष्ठों के अपूर्व उत्साह के बीच सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । इस अधिवेशन में अन्य प्रस्तावों के साथ भारत एवं नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया । इस अधिवेशन में भारत के १८ राज्यों के साथ नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश के १७५ से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के ३७५ से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने यहां आयोजित सप्तम अखिल भारतीय अधिवेशन की समापन पत्रकार परिषद में दी । इस पत्रकार परिषद में भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर, हिन्दू एक्जिस्टन्स के संपादक श्री. उपानंद ब्रह्मचारी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे
उपस्थित थे ।
सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने आगे कहा, ‘‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के विषय में समाज में जनजागरण करने हेतु समानसूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा’, ‘ग्रामस्तरीय हिन्दू राष्ट्र-जागृति बैठक’, ‘हिन्दू राष्ट्र परिसंवाद’, ‘हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान’, ‘वर्ष २०१९ के प्रयाग कुंभमेले में हिन्दू राष्ट्रजागृति एवं संतसंगठन’ आदि विविध उपक्रम आगामी वर्ष में चलाए जाएंगे । इसके साथ शिक्षा, वाणिज्य, प्रशासन एवं राजनीतिक क्षेत्र की सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध संघर्ष कर, समाजहितैषी उपक्रम चलाए जाएंगे । इसके लिए पूरे वर्ष आंदोलन, पत्रकार परिषद, जनजागृति कार्यक्रम आदि का आयोजन किया जाएगा ।’’
श्री. उपानंद ब्रह्मचारी ने इस अवसर कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में ममता बॅनर्जी सरकार के कार्यकाल में स्थानीय हिन्दू, भाजपा कार्यकर्ता तथा पंचायत चुनावों में चुने गए लोकप्रतिनिधियों की हत्या की गई । पश्चिम बंगाल में कानून और सुव्यवस्था के बारह बज गए हैं । सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस विरोधी दलों को चुनाव भी लडने नहीं देता । तृणमूल की ओर से चुनावों में अनुचित प्रकार किए जाते हैं । पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र ही अस्तित्त्व में नहीं है । इसलिए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए ।’’
ओडिशा से आए श्री. अनिल धीर ने कहा, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश एवं श्रीलंका के हिन्दू बंधुआें पर हो रहे अत्याचारों में बहुत वृद्धि हुई है । हिन्दुआें की हत्या, धर्मांतरण, स्त्रियों पर बलात्कार, तथा हिन्दुआें की संपत्ति छीनना नियमितरूपसे हो रहा है । विदेश के हिन्दुआें का वंशविच्छेद रोकने हेतु भारत शासन को ठोस कृति कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है ।
श्री. रमेश शिंदे ने कहा कि, अभी २०१९ के लोकसभा चुनावों की चर्चा चल रही है । आज देश में किसी भी ‘सेक्यूलर’ दल की सरकार की तुलना में हिन्दुत्वनिष्ठ दल की सरकार बनना आवश्यक है; परंतु हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीतिक दलों को ही हिन्दुआें की आवश्यकता है क्या, ऐसा प्रश्न निर्माण हो गया है । सत्ता प्राप्त कर, सभी राजनीतिक दल हिन्दुआें को दिए आश्वासनों की आेर अनदेखी करते हैं । एक ओर उत्तरप्रदेश के ‘कैराना’ में मुसलमान मौलाना भाजपा को मत न देने का मुसलमानों के लिए फतवा निकालते हैं, जबकि ईसाई पादरी सरकार परिवर्तित होने हेतु ‘गॉड’ से प्रार्थना करना आंरभ करते हैं ।
अल्पसंख्यकों का कितना भी तुष्टीकरण करें, उनका वास्तविक रूप हिन्दुत्वनिष्ठ दलों के विरोध में ही है । अनेक राज्यों में भिन्न विचारधारा के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल आपसी मतभेद भुलाकर हिन्दुत्व के विरोध में गठबंधन बना रहे हैं । ये सब देखते हुए बहुसंख्यक हिन्दुत्वनिष्ठों को भी संगठित होकर, राजनीतिक दलों के आश्वासन पर भरोसा न रख, उन्हें अपनी मांगें बताना आवश्यक है । इस दृष्टि से पूरे देश के हिन्दुआें की समस्याआें का अध्ययन कर, हिन्दुआें का ‘चुनाव मांग पत्र’ बनाया जाएगा । इसमें मुख्यतः हिन्दू राष्ट्र की मांग होगी ।
इस समय श्री. चेतन राजहंस ने कहा, इस देश कें प्रत्येक नागरिक को संविधान प्रदत्त संचारस्वतंत्रता है, अर्थात किसी को भी कहीं भी जाने से रोका नहीं जा सकता । ऐसा होते हुए भी, संविधान का अपमान कर, गोवा की भाजपा शासन ने श्रीराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक को गोवा में आने से रोक रखा है । इस संदर्भ में अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन ने निषेध का प्रस्ताव पारित किया है । गोवा के आर्चबिशप ने देश का संविधान खतरे में है, ऐसी घोषणा कर, ईसाई समुदाय को राजनीति में सक्रिय होने के लिए कहा है । वास्तव में नायजेरियन, रशियन एवं यूरोपियन पर्यटकों के कारण गोवा का सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन खतरे में है । इसके विषय में आर्चबिशप कभी नहीं बोलते, यह गंभीर है ।
सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के प्रस्ताव
१. विश्वकल्याण हेतु भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने हेतु सर्व हिन्दू संगठन वैध मार्ग से प्रयत्न करेंगें । भारतीय संसद द्वारा बहुसंख्यक हिन्दू समाज को न्यायोचित अधिकार दिलाने हेतु देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करे ।
२. नेपाल हिन्दू राष्ट्र घोषित हो, इसके लिए ‘अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’का संपूर्ण समर्थन है ।
३. केंद्रशासन बहुसंख्यक हिन्दू समाज की तीव्र भावना ध्यान में रखकर संपूर्ण देश में गोवंशहत्याबंदी, धर्म-परिवर्तन पर बंदी और अयोध्या में श्रीराममंदिर के निर्माण के संदर्भ में तुरंत निर्णय ले ।
४. पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं श्रीलंका के हिन्दुआें पर होनेवाले अत्याचारों की पूछताछ आंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, साथ ही भारत शासन द्वारा की जाए और वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुआें को सुरक्षा प्रदान की जाए ।
५. विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें का पुनश्च जम्मू-कश्मीर में पुनर्वसन किया जाए । इसके लिए कश्मीर घाटी में स्वतंत्र ‘पनून कश्मीर’ इस केंद्रशासित प्रदेश की निर्मिति की जाए ।
६. जम्मूसहित संपूर्ण भारत में अवैधरूप से रहनेवाले रोहिंग्या मुसलमानों को तुरंत खदेड दिया जाए ।
७. कानून का अनुचित उपयोग कर श्रीराम सेना के संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिकजी के गोवा राज्य में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का, यह अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन निषेध करता है ।
८. नास्तिकतावादियों की हत्या के प्रकरण में जांचतंत्र द्वारा सनातन संस्था के निष्पाप साधकों को सताया न जाए, इसके लिए केंद्रशासन तुरंत कदम उठाए ।
हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा अधिवेशन में निश्चित किए समान कृति कार्यक्रम !
१. २२३ स्थानों पर छोटी, मध्यम एवं बडी धर्मजागृति सभाएं, तथा एक वक्ता सभा लेना निश्चित !
२. ४२ नए स्थानों पर प्रतिमास राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन आरंभ होना !
३. कुल ५६ स्थानों पर हिन्दू राष्ट्र संगठक की प्रशिक्षण कार्यशाला लेना निश्चित !
४. ३६ स्थानों पर हिन्दू राष्ट्र के विषय के परिसंवादों का आयोजन होगा !
५. ४८५ स्थानों पर ‘ग्रामस्तरीय हिन्दू राष्ट्र-जागृति बैठकों’का आयोजन होगा !
६. देशभर में २६ जिलास्तरीय, १० प्रांतीय और ३ राज्यस्तरीय हिन्दू अधिवेशन निश्चित !
७. ९५ स्थानों पर शौर्य जागरण शिविर, ५० स्थानों पर वक्ता प्रशिक्षण कार्यशाला, ६० स्थानों पर सोशल मीडिया शिविर और ४० स्थानों पर साधना शिविर लेना निश्चित !