माघ पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११४
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इलाहाबाद। महाकुंभ के पांचवें स्नान पर्व [माघी पूर्णिमा] पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ा है। पिछले दिनों हुई भारी बरसात से मेला क्षेत्र में उत्पन्न हुई अव्यवस्थाओं के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है। श्रद्धालुओं ने आधी रात के बाद से ही संगम पर डुबकी लगानी शुरू कर दी। अभी तक लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इस पावन मौके पर २ करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान करने की उम्मीद है। वहीं, मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हैदराबाद बम विस्फोटों के बाद अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है। मेले में प्रवेश करने वाले हर शख्स और वाहन की जांच हो रही है। सीसीटीवी कैमरों से मेले की निगरानी की जा रही है। मेला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर राज्य पुलिस के साथ अर्द्धसैनिक बलों के जवान तैनात हैं।
सूर्य के उत्तरायण होने के बाद पड़ रही पूर्णिमा पर संगम स्नान का विशेष महत्व है। विद्वानों का मत है कि इस अवसर पर करोड़ों देवी देवता भी संगम में स्नान करते हैं। इस स्नान पर्व के लिए रविवार को दिन भर श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहा। आधी रात के बाद ही स्नान का क्रम भी शुरू हो गया। कुंभ नगरी में रविवार की दोपहरी से ही हजारों श्रद्धालु सिर पर गठरी लादे परिवार समेत पहुंचने लगे थे। यह क्रम देर रात तक जारी रहा। विभिन्न सेक्टरों के खुले पंडाल में स्नानार्थियों ने डेरा डाल दिया है। शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिविर में दक्षिण भारत के सैकड़ों लोग देर शाम पहुंचे। आस-पास के जिलों के भी हजारों लोग परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने पहुंच गए हैं। विद्वानों का मत है कि कुंभ पर्व में माघी पूर्णिमा के स्नान महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि जिसने पूरे माघ माह में स्नान नहीं किया यदि वह माघी पूर्णिमा पर संगम में डुबकी लगा लेगा तो उसे पूरे माह का पुण्य लाभ मिल जाएगा।
ज्योर्तिविद् हर्षमणि त्रिपाठी बताते हैं कि सूर्य के उत्तरायण होने के बाद माघी पहली पूर्णिमा होती है। यह देवताओं का दिन माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद देवता जागते हैं। पूर्णिमा का दिन उनके लिए उत्सव का होता है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों काफी बली रहते हैं। ऐसे में माघी पूर्णिमा के दिन पूरे ब्रह्मांड में, खासकर भारत में सर्वाधिक ऊर्जा होती है। वैसे भी देव गुरु बृहस्पति एवं शनि अपनी उच्च राशि में है। सूर्य कुंभ राशि में है। इसलिए अन्य प्रमुख पर्वो की तरह ही माघी पूर्णिमा के स्नान का महत्व है।
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम पर बने विभिन्न घाटों पर सोमवार सुबह से श्रद्घालु हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। हालांकि साधु और संतों का स्नान तो वसंत पंचमी के आखिरी शाही स्नान के साथ ही समाप्त हो गया था। मकर संक्रांति से शुरू हुए महाकुंभ मेले में अब तक करीब साढ़े छह करोड़ श्रद्घालु स्नान कर चुके हैं। महाकुंभ का समापन १० मार्च [महाशिवरात्रि] को होना है।
स्त्रोत – जागरण