आन्ध्रप्रदेशकी तरह महाराष्ट्रमें हिन्दुओंकी यात्राओंपर प्रतिबन्ध लगानेवाला कानून आएगा !

मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६

सैकडों वर्षोंसे यह उत्सव चालू है एवं उसमें बारबार होनेवाली दुर्घटनाओंको देखते हुए यह प्रकरण अत्यंत नगण्य है । मांढरदेवीसमान स्थलपर हुई दुर्घटनाएं प्रशासनकी निष्क्रियताका ही परिणाम था । प्रत्येक दुर्घटनाकी वस्तुनिष्ठ जानकारी लेकर उसके अनुसार समाधान ढूंढे बिना हिन्दुओंके त्यौहारोंपर पूरी तरह प्रतिबन्ध लाया जा रहा है ।

  • हिन्दुओ, आप कितने दिनतक यह सहन करेंगे ?
  • हिन्दुओ, संगठित होकर वैध मार्गसे इस कानूनका विरोध करें !

मुंबई : यात्रा, उत्सव, धार्मिक स्थल आदि स्थानोंपर होनेवाली भीड एवं मांढरदेवीसमान कुछ घटनाओंको प्रसिद्ध देकर आन्ध्रप्रदेशकी तरह महाराष्ट्रमें भी जनसुरक्षा कानून लाने हेतु कदम उठाए जा रहे हैं ।

जहां एक ही समय १०० से अधिक लोक एकत्रित होते हैं, ऐसी शैक्षणिक अथवा धार्मिक संस्थाएं, व्यापारी संकुल, उपाहारगृह, अधिकोष आदि कानूनके दायरेमें आएंगे । इन धार्मिक-व्यापारी आस्थापनोंके साथ ही नवरात्रि उत्सव, गणेशोत्सव तथा दहीहंडीसमान उत्सवोंके आयोजकोंके लिए कठोर नियमावली सिद्ध की जाएगी । इस सन्दर्भमें गृहविभागने प्रस्ताव सिद्ध किया है । इसलिए सर्वाधिक बन्धन हिन्दुओंके धार्मिक त्यौहारोंपर आएंगे । (इस कानूनको पारित करनेके सन्दर्भ में तत्कालीन संयुक्त कांग्रेस सरकारके गृहमन्त्री रा.रा. पाटिल एवं अन्य कुछ मन्त्रियोंने वक्तव्य दिया था । उस सरकार का हेतु हिन्दुओंके धर्माचरणपर एवं संगठनपर आंच लाना ही था; परन्तु अब हिन्दुओंने उन्हें उनका स्थान दिखा दिया है । ऐसे कानूनपर निर्णय लेते समय नवनिर्वाचित भाजपा शासनको हिन्दू धर्मविरोधी प्रावधान हटाने चाहिए, यही हिन्दुओंकी अपेक्षा है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

ऐसा, हो सकता है !

 १. सार्वजनिक स्थलोंपर होनेवाली तोडफोड तथा, दुर्घटनाओंको नियन्त्रित करनेके निमित्त आन्ध्रप्रदेशमें पब्लिक सेफ्टी (मेजर्स) एनफोर्समेंट एक्ट २०१३, यह कानून जुलाई २०१३ से लागू किया गया है ।

 २. सार्वजनिक-धार्मिक स्थल आतंकवादियोंके मुख्य लक्ष्य होते हैं । (इसलिए इस स्थानके हिन्दुओंके संगठनपर प्रतिबन्ध लगाना समाधान नहीं है । इसके लिए आतंकवादियोंको जडसे उखाड देना चाहिए ।-सम्पादक , दैनिक सनातन प्रभात) देवालय, यात्रा, गणेशोत्सव, नवरात्रि उत्सव, दहीहंडी तथा उरुस समान उत्सवोंके स्थानपर अनेक बार होनेवाली भीषण भीड अपघातके लिए कारणभूत सिद्ध होती है ।

 ३. भीडके कारण ही मांढरदेवीसमान भगदडकी दुर्घटनाएं हुई थीं; परन्तु भविष्यमें ऐसी घटनाओंकी पुनरावृत्ति न होने हेतु सावधानी बरतनेके लिए कानून पारित किया जाएगा । (सैकडों वर्षोंसे यह उत्सव चालू है एवं उसमें बारबार होनेवाली दुर्घटनाओंको देखते हुए यह प्रकरण अत्यंत नगण्य है । मांढरदेवीसमान स्थलपर हुई दुर्घटनाएं प्रशासनकी निष्क्रियताका ही परिणाम था । प्रत्येक दुर्घटनाकी वस्तुनिष्ठ जानकारी लेकर उसके अनुसार समाधान ढूंढे बिना हिन्दुओंके त्यौहारोंपर पूरी तरह प्रतिबन्ध लाया जा रहा है । हिन्दुओ, आप कितने दिनतक यह सहन करेंगे ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

 ४. पता चला है कि यह जानकारी मन्त्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रोंने दी है । विधि एवं न्याय विभागद्वारा भी इस कानूनको सम्मति दर्शाई गई है । शीघ्र ही यह सार मन्त्रीमण्डल के समक्ष रखा जाएगा एवं शीतकालीन अधिवेशन में यह विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा ।

 ५. इस कानून के अनुसार सम्बन्धित आस्थापन अथवा संस्थाओंको भेंट देनेवाले लोगों की सुरक्षा का दायित्व सम्बन्धित संस्था के मालिक, व्यवस्थापक अथवा आयोजकोंपर होगा ।

 ६. विविध आस्थापनों में प्रवेश करने एवं बाहर निकलने के लिए मार्ग की रचना करनी होगी । साथ ही अनेक स्थानोंपर सीसीटीवी कैमरे (छायाचित्रक) बिठाने होंगे । इस प्रबन्ध को सुस्थिति में रखना एवं इसके सन्दर्भ में पुलिस विभाग को जानकारी उपलब्ध करवाना बन्धनकारक होगा ।

 ७. यद्यपि यात्रा एवं धार्मिक उत्सवोंपर किस प्रकार के बन्धन आएंगे, यह अबतक स्पष्ट नहीं किया गया है, परन्तु इससे यात्रा में श्रद्धालुओं की उपस्थिति न्यून होने की सम्भावना को अस्वीकार नहीं किया जा सकता । (हिन्दुओ, प्राण की बाजी लगाकर आप के धर्मसंगठनपर प्रतिबन्ध लगाए जानेवाले कानूनों का विरोध करें ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
(सन्दर्भ : दैनिक लोकसत्ता, १७.११.२०१४)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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