स्वतंत्रता-समरके अग्निकुंडमें आहुति देनेवाले सहस्रों क्रांतिकारियोंके उपकार आजके निधर्मी राज्यकर्ता भूल गए हैं । वे क्रांतिकारी तथा राष्ट्रपुरुषोंका आगे दिए अनुसार विकृत इतिहास प्रचारित कर रहे हैं ।
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बंगाल सरकारने हाल ही में एक पुस्तिकामें खुदीराम बोसको ‘आतंकवादी’ कहा है ।
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एन्.सी.ई.आर्.टी.की पाठ्यपुस्तकमें छ. शिवाजी महाराज, लो. तिलक, भगतसिंगको तथा आई.सी.एस्.ई. की पाठ्यपुस्तकमें भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेवको ‘आतंकवादी’ बताया गया ।
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‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ की पाठ्यपुस्तकद्वारा क्रूर एवं अन्यायकारी राजसत्ता लागू करनेवाले मुगलोंका सम्मान कर तथा निष्ठावान राजाओंकी उपेक्षा कर इतिहासक अत्यधिक विकृतिकरण किया जा रहा है ।
क्रांतिकारियोंका अपमान तथा इतिहासका विकृतिकरण रोकनेके लिए आप क्या करेंगे ?
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राष्ट्रके लिए अमूल्य योगदान देनेवाले राष्ट्रपुरुष और क्रांतिकारियोंके स्मृतिदिवस मनाएं !
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‘क्रांतिकारियोंकी अवहेलना करनेवाली तथा इतिहासका विकृतिकरण करनेवाली पाठ्यपुस्तकें शासन वापस ले’, इसके लिए जनप्रतिनिधियोंको (उदा. मंत्री, विधायक, सांसदोंको) व्यक्तिगतरूपसे प्रयास करनेके विषयमें निवेदन दीजिए !
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इतिहासके विकृतीकरण संबंधी शासनको पत्र लिखने हेतु हितचिंतकोंको प्रोत्साहित कीजिए !
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क्रांतिकारियोंके चरित्र बतानेवाले व्याख्यान, कथाकथन स्पर्धा और चलचित्रका आयोजन कीजिए !
इतिहासके स्मरणसे ही राष्ट्र बचेगा और राष्ट्र बचा, तो हम बचेंगे!