श्रीक्षेत्र शनिशिंगणापुर ग्रामवासियों का तीव्र विरोध !
भक्तों, मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणामों को जानें एवं शासन के इस निर्णय का वैधानिक पद्धति से विरोध करें ! अभीतक सरकारीकरण किए गए मंदिरों में करोडों रुपयों के घोटाले एवं धर्महानि करनेवाले निर्णय ही लिए गए हैं ! ऐसा होते हुए भी स्वयं को हिन्दुत्वनिष्ठ कहलानेवाली भाजपा सरकार हिन्दू धर्म की हानि करनेवाला निर्णय क्यों ले रही है ? धर्मशास्त्र के अनुसार मंदिरों का भक्तों के नियंत्रण में होना ही अपेक्षित है, ये शासन के समझ में कब आएगा ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
नेवासा (नगर जिला, महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र शासन कोल्हापुर का श्री महालक्ष्मी मंदिर एवं शिरडी के साईबाबा मंदिर की भांति शनिशिंगणापुर देवस्थान भी अपने नियंत्रण में लेनेवाला है, साथ ही मंदिर का अध्यक्ष एवं न्यासियों की नियुक्ति भी शासन ही करेगा ! इस संदर्भ मे शीघ्र ही मंत्रिमंडल में प्रस्ताव रखा जाएगा । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस ने एक अंग्रेजी प्रसारमाध्यम के साथ बात करते हुए ऐसा कहा है; किंतु शनिशिंगणापुर ग्रामवासियों ने इस निर्णय का तीव्र विरोध किया है ! (सरकार केवल मंदिरों की संपत्ति पर अपनी कुदृष्टि रखकर एक-एक कर उनका सरकारीकरण कर रहा है ! क्या सरकार किसी मस्जिद एवं चर्च को अपने नियंत्रण में लेकर सरकारीकरण करने का साहस दिखा सकती है ? वैसा करने से होनेवाले परिणामों के डर के कारण ही सरकार किसी मस्जिद और चर्च का सरकारीकरण करने का साहस नहीं दिखा सकती ! सरकार इसके प्रति भलीभांति आश्वस्त है कि हिन्दू अपने मंदिरों के संदर्भ में कुछ नहीं बोलेंगे ! अब इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु हिन्दुओं को इस निर्णय का वैधानिक पद्धति से विरोध करना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. सरकारद्वारा शनिशिंगणापुर देवस्थान को नियंत्रण में लेने के पश्चात कार्यकारी अधिकारी, अध्यक्ष एवं न्यासियों की नियुक्ति सरकार की ओर से ही की जाएगी ! उसके लिए सरकार देवस्थान के नियम में परिवर्तन भी ला सकती है !
२. वर्तमान में जो शनिशिंगणापुर का मूल नागरिक है, वही न्यासी बन सकता है; परंतु नए नियम के अनुसार राज्य का कोई भी नागरिक शनिशिंगणापुर देवस्थान का न्यासी बन सकता है !
३. शनिशिंगणापुर देवस्थान के न्यासीपद के लिए शनिशिंगणापुर गांव के १०४ ग्रामवासियोंद्वारा धर्मादाय आयुक्त के पास आवेदन किया गया था । उनसे भेंटवार्ता कर ११ ग्रामवासियों को न्यासी बनने का अवसर मिला !
४. वर्ष १९६३ से चली आ रही शनिशिंगणापुर की यह परंपरा शासन के इस निर्णय से संकट में आ जाएगी ! शासन की ओर से यदि यह निर्णय लिया गया, तो ग्रामवासियोंद्वारा इसका विरोध होने की संभावना है !
५. शनिशिंगणापुर गांव में चाहे राजनीतिक संघर्ष शीर्ष का हो; फिर भी इस निर्णय के विरोध में ग्रामवासी संगठित होने की संभावना है; क्योंकि देवस्थान नियम के अनुसार केवल गांव के नागरिक को ही न्यासी बनने की अनुमति है ! सरकार को यदि इस देवस्थान को अपने नियंत्रण में लेना हो, तो पहले उसे विधि एवं न्याय विभाग से देवस्थान के नियम में परिवर्तन करा लेने के लिए मंत्रिमंडल से सहमति लेनी पडेगी !
शनिशिंगणापुर की ५५ वर्षों की परंपरा खंडित न हो !
विश्व में शनिशिंगणापुर एक अलग ही प्रकार का गांव है एवं इस गांव को गांव के नागरिक को ही मंदिर का न्यासी बनाने की ५५ वर्षों की परंपरा है ! सरकार इस परंपरा को न तोडे । यदि ऐसा निर्णय लिया गया, तो ग्रामवासी उसका तीव्रता के साथ विरोध करेंगे ! – श्री. बाळासाहेब बानकर, सरपंच, शनिशिंगणापुर
सरकार गांव की परंपरा का विचार करे !
यह देवस्थान शनिभक्तों को सुविधा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है; इसलिए अभीतक देवस्थान की ओर से विविध सामाजिक उपक्रम चलाए गए हैं । हमें सरकार के इस निर्णय के संदर्भ में कुछ ज्ञात नहीं है; परंतु सरकार हमारे गांव की परंपरा का प्रथम विचार करे ! – श्री. आप्पासाहेब शेटे, न्यासी, शनैश्वर देवस्थान
. . . अन्यथा हिन्दू जनजागृति समिति आंदोलन छेडेगी ! – हिन्दू जनजागृति समिति
नगर जिले के शनिशिंगणापुर का विख्यात श्री शनैश्वर मंदिर शासन अपने नियंत्रण में लेनेवाला है, ऐसा समाचार प्रकाशित हुआ है ! अभीतक महाराष्ट्र शासनद्वारा पंढरपुर, शिरडी, तुळजापर, श्री सिद्धिविनायक मंदिर एवं श्री महालक्ष्मी मंदिरसहित ३ सहस्र ७० से भी अधिक मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले लिया गया है ! इन मंदिरों के व्यवस्थापन में प्रशासनिक अधिकारियोंद्वारा हो रहे भ्रष्टाचार सर्वज्ञात हैं ! देवस्थानों की सैकडों एकड भूमि, करोडों रुपए के आभूषण एवं संपत्ति को हडप लिया गया है !
हिन्दू जनजागृति समिति ने ऐसे अनेक प्रकरणों को उजागर किया हैं ! राज्य आपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) की ओर से ‘पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति’ एवं ‘श्री तुळजाभवानी देवस्थान समिति’द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच चल रही है । यह अन्वेषण विगत अनेक वर्षों से चल रहा है । इन घोटालों में अनेक वरिष्ठ अधिकारी संलिप्त होने से सरकार की ओर से इस जांच में जानबूझकर विलंब लगाया जा रहा है ! सुव्यवस्थापन के नाम पर अधिग्रहित मंदिरों के प्रशासनिक अधिकारी ही भ्रष्टाचार कर रहें हों, तो शासन को और एक मंदिर को अधिग्रहित करने का क्या नैतिक अधिकार है ?
आजकल धनवान एवं बडी संपत्तिवाले मंदिरों पर ही राज्यकर्ताओं की वक्रदृष्टि रहती है ! अतृप्त एवं स्वार्थी राजनेताओं की ‘व्यवस्था’ हेतु मंदिरों को ही भ्रष्टाचार का केंद्र बनाया जा रहा है !
राज्य की अनेक बडी मस्जिदें, चर्च, साथ ही वक्फ बोर्ड एवं चर्च संस्थाओं के पास सहस्रों करोडों रुपए की भूमि है; परंतु उन्हें छोडकर केवल हिन्दुओं के मंदिरों का ही सरकारीकरण करनेवाली सरकार मुसलमान और ईसाईयों के धार्मिक स्थलों को अपने नियंत्रण में लेने का साहस क्यों नहीं दिखाती ? क्या यही सरकार की धर्मनिरपेक्षता है ? हमारी यह मांग है कि शासनद्वारा अभीतक जिन मंदिरों को अधिग्रहित किया गया है, उन सभी मंदिरों को पुनः भक्तों के नियंत्रण में दे दिया जाए, साथ ही जिन मंदिरों में भ्रष्टाचार हुआ है, उसमें दोषी सभी के विरोध में कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए, अन्यथा हिन्दू जनजागृति समिति सडकपर उतरकर इसका तीव्रता के साथ विरोध करेगी !
– श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात