श्रीलंका में हिन्दू सांस्कृतिक मंत्रीपद पर मुसलमान व्यक्ति की नियुक्ति
श्रीलंका के हिन्दुओं की ऐसी स्थिति के संदर्भ में भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन कब अपनी आवाज उठाएंगे ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
कोलंबो (श्रीलंका) : श्रीलंका सरकारद्वारा हिन्दू धर्म एवं सांस्कृतिक मंत्री के रूप में एक मुसलमान व्यक्ति को नियुक्त किया गया है ! यह तो हिन्दू समाज को जहर पीलाने जैसा ही है; इसकी अपेक्षा श्रीलंका सरकार हिन्दू धर्म एवं सांस्कृतिक मंत्रालय को ताला ही लगाएं ! श्रीलंका के वरिष्ठ हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. मरवनपुलावू सच्चिदानंदन् ने सरकार को पत्र लिखकर ऐसी मांग की है !
श्री. मरवनपुलावू सच्चिदानंदन्द्वारा भेजे गए पत्र के निहित सूत्र . . .
१. किसी भी मुसलमान को काफिरों (जो मुसलमान नहीं है) को, नष्ट करने की सिख दी जाती है !
२. हिन्दुओं के लिए पवित्र ऐसा गोवंश की मुसलमान खाने के लिए हत्या करते हैं !
३. इस्लाम ईश्वर के किसी भी सगुण रूप को अस्वीकार करता है ! मुसलमानों के लिए पवित्र भूमि सऊदी अरेबिया में विदेश से आनेवाले हिन्दुओं ने अपनी जेब में हिन्दू देवताओं के चित्र रखना भी अपराध माना जाता है !
४. हिन्दू एवं इस्लाम की जीवनपद्धति में अनेक विसंगतियां हैं, केवल इतना ही नहीं, अपितु देहली के इस्लामी आक्रमकों ने करोडों हिन्दुओं का ६वीं सदीं से उत्पीडन किया ! उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय एवं बौद्धों का पवित्र बुद्ध गया को नष्ट किया !
५. मुसलमानों ने श्रीलंका के आमरपाराय जिले के कालमुइनीकुकुडी में हिन्दुओं की २ मंदिरों को ध्वस्त कर वहां मस्जिदों का निर्माण किया था। मंत्री हिबबुला ने यह खुली घोषणा कि, कि काल्डी के काली मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद के निर्माण के लिए वह स्वयं उत्तरदायी है !
६. इस्लामवादी जो आक्रामक नीती चला रहे हैं, उसकेद्वारा हिन्दुओं का बलपूर्वक धर्मांतर, निजी हिन्दू भूमियों को हडपना एवं आज के दिन वहां की हिन्दू जनसंख्या, जो श्रीलंका कें दूसरे क्रम की जनसंख्या है, उसे घटाकर अपने पंथ को उस क्रमपर लाने के लिए अधिक बच्चों को जन्म देना आदि घटनाएं हो रही हैं !
ऐसी स्थिति में एक मुसलमान व्यक्ति को हिन्दू धर्म एवं सांस्कृतिक मंत्री के पदपर नियुक्त करना, यह तो हिन्दुओं को अकारण बलि चढाने जैसा है ! पोणमन्बालम रामनाथनया नामक हिन्दू के अकेले के प्रयासों के कारण ५ सहस्र बौद्ध लोग वर्ष १९१५-१६ में ब्रिटीशों के कारावास से मुक्त होकर श्रीलंका लौट गए। बौद्धों के इतिहास के सबसे कठिन संकटकाल में हिन्दुओंद्वारा की गई उनकी सहायता के प्रति बौद्धों ने कभी कृतज्ञता व्यक्त नहीं की और तो और एक अत्यंत असहिष्णु समझे जानेवाले मुसलमान व्यक्ति को सांस्कृतिक विभाग का मंत्री बनाकर उसे हिन्दुओं की छातीपर ही बिठा दिया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात