इसके लिए निजी आस्थापन की आवश्यकता क्यों पडती है ? क्या, भूमि की प्रविष्टि के लिए सरकार नियुक्त देवस्थान समिति सक्षम नहीं है ? देवस्थानों को ऐसी अकार्यक्षम सरकारी समितियों के नियंत्रण से मुक्त करा कर उन्हें भक्तों के हाथ में सौंपने के बिना दूसरा कोई विकल्प नहीं है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति की कार्यकक्षा में आनेवाली २७ सहस्र एकड भूमि का उपयोग मंदिर व्यवस्थापन के व्यय के लिए न कर उनका दुरूपयोग किया जा रहा है ! इतनी भूमि की जानकारी एवं उसका हो रहा दुरूपयोगसहित इनका लगान थकानेवालों की जानकारी देवस्थान व्यवस्थापन समिति के पास नहीं है ! अतः विगत २० वर्षों में करोडों रूपयों की आय डूब गई है ! इस ढीली कार्यपद्धति को उजागर कर समिति के पास देवस्थान भूमि की प्रविष्टियां हों एवं इनके उपभोगकर्ता एवं नीलामी में भूमि प्राप्त करनेवालोंकी जानकारी संकलित की जाए; इसके लिए देवस्थान समितिद्वारा एक स्वतंत्र निजी आस्थापन की नियुक्ति की जानेवाली है !
(हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा वर्ष २०१५ में पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति में करोडों रुपए का घोटाला उजागर किए जाने के पश्चात वर्ष २०१६ में विधानसभा में मुख्यमंत्रीद्वारा इस घोटाले की विशेष अन्वेषण दलद्वारा ६ मासों में जांच का आश्वासन दिया गया था; परंतु अभीतक एसआईटी की ओर से यह जांच बहुत धीमी गति से चल रही है ! राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव एवं प्रशासन के ढीली कार्यपद्धति के कारण दोषियों के विरोध में कार्रवाई नहीं की गई है। इसके लिए उत्तरदायी लोगों के विरोध में कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. देवस्थान समिति की कार्यकक्षा में आनेवाले ३ सहस्र ६४ मंदिर एवं उनके व्यवस्थापन के लिए २३ तहसिलों में २७ सहस्र एकड भूमि का प्रबंध किया गया है। सैकडों वर्षों से किश्तकारी एवं नीलामी, इन पद्धतियों से देवस्थान की भूमि लोगों को खेती करने के लिए सौंप दी गई हैं !
२. इसके बदले इन किश्तकारों को समिति के पास प्रतिवर्ष नाममात्र रुपए का लगान देने का नियम है; परंतु अनेक किश्तकारों ने विगत अनेक वर्षों से लगान जमा ही नहीं किया है तो कुछ लोगों ने भूमि की बिक्री भी कर डाली है !
३. कुछ किश्तकारों ने भूमि गिरवी रखकर ऋण लेकर वहां घरों का निर्माण भी किया है ! देवस्थान व्यवस्थापन समितिद्वारा भूमि की देखभाल करना, उनकी प्रविष्टियां रखना, भूमि पर खेती करनेवालों से लगान की वसूली होती है अथवा नहीं इसपर ध्यान रखना, इनमें से किसी भी दायित्व का निर्वहन नहीं किया गया है ! इसके विपरीत अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से अनेक लोगों ने भूमि का उपयोग व्यावसायिक कारणों के लिए कर उससे लाखों रुपए अर्जित कर भूमि का दुरूपयोग किया है ! ऐसी सभी अनियमितताओं को रोककर किश्तकारोंपर अंकुश लगाने के लिए देवस्थान भूमि का लेखापरीक्षण किया जानेवाला है !
४. वर्ष २०१० से देवस्थान समिति का अध्यक्षपद खाली था एवं राजनीतिक दबाव और कर्मचारियों के साथ सांठगांठ कर लगान को डूबाने की घटनाएं बढी हैं; परंतु इसमें दोषी लोगों के विरोध में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है !
५. आज के दिन भूमि का दुरूपयोग किया जा रहा है, ऐसे २५ प्रकरण स्थानीय लोगोंद्वारा किए गए परिवाद के कारण उजागर हुए हैं ! उसके अनुसार पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष श्री. महेश जाधव ने देवस्थान समिति की भूमि के संदर्भ में उपर्युक्त निर्णय लिया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात