हिन्दुस्तान को मुसलमानों और अल्पसंख्यकों पर ज्ञान देने वाले पाकिस्तान के हालात कितने खराब हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। और इसके बावजूद वहां का समाज और सरकार दोनों ही हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचाराें को बढावा ही देने में लगे हुए हैं। इसका एक और सबूत देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान में महज एक दिन के अंदर १३-१५ साल की दो बच्चियों को मुसलमानों द्वारा जबरन उठा ले जाने के मामले सामने आए हैं।
पायल ठाकुर को बंदूक की नोंक पर उठाया, मुसलमान बनाया
पाकिस्तान में रहने वाली १५ वर्षीय पायल ठाकुर के पिता रिक्शा चलाकर अपना पेट पालते हैं। पिछले शुक्रवार को उनकी बेटी पायल को स्थानीय मुसलमानों ने बंदूक दिखाकर उठा लिया। यही नहीं, जिस लडके पर पायल को अगवा करने का शक था, उसके घर जब पूजा की बहन और परिवार गया तो उसके पिता ने माना कि उनकी बेटी को उसी के बेटे ने उठाया है। लेकिन उसने पायल को लौटाने से इंकार करते हुए ‘दिलासा’ दिया कि “तीन दिन में” वे उसे लौटा देंगे।
देखिए पायल ठाकुर के मां-बाप कैसे चला चला कर रो-रोकर पाकिस्तान की सरकार को और आवाम को कह रहे हैं हमारी बच्ची को जबरन बंदूकी नोक पर उठाकर ले गाये उसका धर्म बदल दिया . कोई भगवान का फरिश्ता हमें हमारी बच्ची वापस ला दे ! Shame on humanity @ImranKhanPTI @ANI @PTIofficial @UNinIndia pic.twitter.com/q8XSLeeMnh
— Manjinder S Sirsa (@mssirsa) September 4, 2019
तीन दिन में ? भारत में ह्यूमन राइट्स का रोना रोने वाले, लैला सीरियल देखकर “इंडिया में यही होता है, ब्रो” का ज्ञान झाडने वाले इस वाक्य को फिर से पढें, और बताएँ हिन्दुस्तान में ऐसा किस मोहल्ले के हिन्दुओं में होता है। एक लडकी को उसके पंथ, उसकी आस्था के अल्पसंख्यक होने के कारण उठा लिया जाता है। जाहिर तौर पर बैठा कर टॉम एंड जेरी दिखाने के लिए नहीं, बलात्कार करने के लिए। और बलात्कारी का बाप पीडिता के परिवार को ‘दिलासा’ देता है कि चिंता मत करो, केवल तुम्हारी बेटी का जिस्म नोचेंगे-खसोटेंगे (क्योंकि तुम पाकिस्तान में काफिरान होने के गुनहगार हो), लेकिन उसके बाद लौटा देंगे। इसकी एक बार कल्पना करिए।
इसका सीधा-सा मतलब है कि पाकिस्तान में हिन्दू सेक्स-गुलाम हैं; उनकी लडकियों के शरीर पर पाकिस्तानियों का तो हक है ही। चिंता तो माँ-बाप को इसकी करनी चाहिए कि लडकी वापिस भी मिलेगी या नहीं, जोकि इस मामले में हुआ भी है। उस दिन के बाद से उस लडके का पिता भी पीडित परिवार को नहीं मिला है, और पुलिस की दबिश भी बेअसर रही है। परिवार वालों का आरोप है कि पायल को मुसलमान बना दिया गया है।
13 साल की पूजा कुमार के माँ बाप के शब्दो में अगर आपको दर्द और बेबसी नहीं महसूस हो रही तो आप इंसान नही!
कहाँ है वो लोग जो Human Rights की बातें करते है?
क्यूँ पाकिस्तान की इन बच्चियों के ज़बरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा globally नहीं उठाया जा रहा@ImranKhanPTI जी से इंसाफ़ की बिनती pic.twitter.com/BWioY9cAPY— Manjinder S Sirsa (@mssirsa) September 6, 2019
“तुसी मुसलमान हो जाओ, त्वानु बच्ची दे, कुडी दे छड देंगे”
१३ साल की पूजा कुमारी के माँ-बाप की अगर मानें तो हिन्दुओं का अपने बच्चों को, खासकर बेटियों को पाकिस्तान के स्कूलों में भेजना भी खतरे से खाली नहीं है। हमेशा यह खतरा बरकरार है कि गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल, खानगढ जैसे सरकारी स्कूल का शिक्षक ही इस्लाम स्वीकार करने का दबाव अबोध मन पर डालने लगे। पूजा कुमारी का मामला यही है। पहले शिक्षक ने मुसलमान बनाया, फिर स्कूल वालों ने बेटी को गायब कर दिया।
शिक्षक ने कहा कि तूने अरबी पढ ली, अब तो तू मुसलमान हो गई। अब तू (काफिर माँ-बाप के पास) घर नहीं जा सकती। प्रिंसिपल खुलकर कहता है कि मुसलमान बन जाओ, बच्ची को छोड देंगे। पैसे का लालच भी देता है। बिना बोले भी “अन्यथा नहीं” साफ होता है।
शिरोमणि अकाली दल के नेता के ट्वीट्स
यह मामले भी शायद सामने नहीं आते, अगर शिरोमणि अकाली दल के राजौरी गार्डन (दिल्ली) विधायक मनजिंदर सिरसा इन बेबस माँ-बापों का दर्द सोशल मीडिया पर नहीं रखते। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात कितने खराब हैं, इसकी बानगी इसी से समझी जा सकती है कि हाल ही में अपने माँ-बाप के पास दोबारा पहुँचने वाली रेणु कुमारी का मामला पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी हिन्दू अगवा लडकी के सही-सलामत अपने परिवार से दोबारा जा मिलने का किस्सा है। यह दावा किसी हिन्दुस्तानी का नहीं, पाकिस्तान के नागरिक और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सांसद रमेश कुमार का है।
यही पाकिस्तान है जिन्ना का भी, और इमरान खान का भी।
स्त्रोत : ऑपइंडिया