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शनिशिंगणापुर देवस्थान भी अब सरकारी नियंत्रण में आएगा – महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल का निर्णय

  • अभी तक मंदिरों के सरकारीकरण के पश्‍चात मंदिरों में करोडों रूपयों का भ्रष्टाचार सामने आया है । ऐसा होते हुए भी स्वयं को हिन्दुहितैषी कहलानेवाली भाजपा सरकार द्वारा ऐसा निर्णय लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण तथा धर्महानि करनेवाला ही है !
  • अब यहां भी वेतन लेनेवाले पुरोहित नियुक्त किए जाएंगे तथा मंदिर की परंपरा को तोडकर चबुतरेपर महिलाआें को प्रवेश दिया जाएगा ! इस प्रकार से धर्महानि करनेवालों को आनेवाले चुनाव में हिन्दुआें ने उनका स्थान दिखा दिया, तो इसमें आश्‍चर्य कैसा ?

मुंबई : राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कोल्हापुर का श्री महालक्ष्मी मंदिर देवस्थान तथा शिरडी के श्री साईबाबा देवस्थान की भांति अब शनिशिंगणापुर का देवस्थान भी अब सरकारी नियंत्रण में लेने का निर्णय लिया गया । अबतक देवस्थान के विरुद्ध लगाए गए आरोप तथा वहां की मनमानी कार्यपद्धति के कारण यह निर्णय लिया गया है, ऐसा बताया गया है । (सरकार मस्जिदों तथा चर्च के सरकारीकरण का विचार क्यों नहीं करती ? – संपादक)

राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मनगुंटीवार ने इस विषय में कहा, अब शनिशिंगणापुर देवस्थान के व्यवस्थापन के लिए भी न्यास की नियुक्ति की जाएगी । इससे श्रद्धालुआें को अधिकाधिक सुविधाएं तथा पारदर्शी कार्यपद्धति का प्रयास किया जाएगा । (तो क्या सरकार को ऐसा लगता है कि चर्च, मस्जिदों और मदरसों का काम पारदर्शी है ? – संपादक)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

शनिमंदिर सरकारद्वारा नियंत्रित हुआ, तो शासन पर श्री शनिदेव का ही नहीं, समस्त हिन्दुआें का भी कोप होगा ! – हिन्दू जनजागृति समिति

पहले सरकारीकरण किए मंदिरों के भ्रष्टाचार का उत्तर दें !

कांग्रेस सरकार ने पहले सरकारी खजाना खाली कर दिया और उसके बाद उनकी वक्रदृष्टि हिन्दू मंदिरों में श्रद्धालुआें के धन पर पडी । इस धन को हडपने के लिए उन्होंने हिन्दुआें के मंदिरों का सरकारीकरण आरंभ किया । इसके द्वारा मंदिर के श्रद्धालुआें के करोडों रुपए लूटे तथा हज यात्रा एवं चर्च के विकास के लिए उस धन का उपयोग किया । हाल ही में कर्नाटक में हुए चुनावों के समय भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में हिन्दुआें के सरकारीकरण हुए मंदिर हिन्दुआें को वापस करेंगे, ऐसी एक प्रमुख घोषणा की थी । परंतु महाराष्ट्र में यही भाजपा सरकार हिन्दुआें से मंदिर छीनकर उनका सरकारीकरण कर रही है । सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार धर्मनिरपेक्ष सरकार को हिन्दुआें के मंदिर चलाने का अधिकार नहीं है । न्यायालय ने केवल प्रबंधन की त्रुटियां दूर कर, मंदिर पुनः उस समाज को लौटाने के निर्देश दिए हैं । ऐसा होते हुए भी भाजपा सरकार ने शिंगणापूर के श्री शनैश्‍वर देवस्थान का सरकारीकरण करने का निर्णय लिया । इस निर्णय का हिन्दू जनजागृति समिति कठोर शब्दों में निषेध करती है । शासन ने यदि यह निर्णय निरस्त नहीं किया, तो जनांदोलन किया जाएगा, ऐसी चेतावनी समिति के महाराष्ट्र संगठक श्री. सुनील घनवट ने दी है ।

श्री. घनवट ने आगे कहा कि इससे पहले भी शासन ने पंढरपुर स्थित श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, तुळजापुर का श्री तुळजाभवानी मंदिर, मुंबई का श्री सिद्धीविनायक मंदिर, शिर्डी का श्री साई संस्थान, तथा ‘पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति’ बनाकर उसके द्वारा पूरे 3067 मंदिर अपने नियंत्रण में लिए । इसमें कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी एवं श्री ज्योतिबा देवस्थान का भी समावेश है । इन सभी मंदिरों का सुव्यवस्थापन करने के नाम पर सरकारीकरण किया गया । प्रत्यक्ष में इसके विपरीत मंदिरों के व्यवस्थापन में शासकीय समितियों ने बडी मात्रा में भ्रष्टाचार कर, करोडों रुपयो का धन लुटा है । इस विषय में ‘सीआइडी’ जांच, तथा न्यायालय में याचिका चल रही है । देवनिधि लूटनेवाले पापी व्यक्तियों को दंड न देनेवाले शासन को श्री शनैश्‍वर देवस्थान को नियंत्रित करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं । शासन ने नियंत्रण में लिए मंदिरों का धन लूटनेवालों पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, उन भ्रष्टाचारियों को खुला क्यों छोड रखा है, इसका उत्तर देना आवश्यक है; अन्यथा शासन पर श्री शनिदेव का ही नहीं; हिन्दुआें का भी कोप होगा ।

हिन्दू श्रद्धालु मंदिरों में दान, सामाजिक और शासकीय कामों के लिए नहीं करता; धर्मकार्य के लिए करता है । इस दान का उपयोग धर्मकार्य में ही होना चाहिए, ऐसा कार्य वास्तविक भक्त ही कर सकते हैं । इसलिए शासन आज तक अधिग्रहित किए सभी मंदिर भक्तों को सौंप दें । भ्रष्टाचार हुए मंदिर के दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई करे अन्यथा हिन्दू जनजागृति समिति सडक पर उतरकर राज्यव्यापी आंदोलन करेगी, ऐसी चेतावनी भी श्री. घनवट ने इस समय दी ।

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