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अफगानिस्तान : सिख-हिन्दू समुदाय के काफिले पर आत्मघाती हमले में १९ की मौत

अब हमारे पास दो विकल्प भारत चले जाएं या फिर इस्लाम कबूल कर लें !

आत्मघाती हमलावर ने राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहे सिखों और हिन्दुओं के काफिले को निशाना बनाया था

काबुल : अफगानिस्तान में बडी संख्या में सिखों की हत्या के बाद अब समुदाय के कुछ लोग देश छोडने का विचार कर रहे हैं ! रविवार को जलालाबाद में हुए एक आत्मघाती हमले में सिख समुदाय के १३ लोगों की मृत्यु हो गई थी । अब अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक सिख समुदाय के कई लोग देश छोडकर भारत आने की तैयारी कर रहे हैं !

आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है । हमले के पीडितों में संसदीय चुनाव में एकमात्र सिख उम्मीदवार अवतार सिंह खालसा और समुदाय के जानेमाने कार्यकर्ता रावल सिंह भी शामिल हैं । तेजवीर सिंह (३५) ने कहा, ‘मैंने तय कर लिया है कि अब हम यहां ज्यादा समय तक नहीं रह सकते हैं !’ हमले में तेजवीर के चाचा की भी मृत्यु हो गई थी ।

हिन्दुओं और सिखों के नैशनल पैनल के सचिव तेजवीर ने कहा, ‘इस्लामिक आतंकी हमारी धार्मिक प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे । हम अफगानी हैं । सरकार हमें मान्यता देती है परंतु आतंकवादी हम पर हमले करते हैं क्योंकि हम मुस्लिम नहीं हैं !’

उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान में सिख समुदाय अब लगभग ३०० परिवारों तक ही सीमित हो गया है ! हमारे पास दो गुरुद्वारे हैं, एक जलालाबाद और दूसरा राजधानी काबुल में है । आपको बता दें कि, भले ही अफगानिस्तान मुस्लिम बहुल हो पर यहां १९९० के दशक में गृह युद्ध छिडने से पहले तक ढाई लाख से ज्यादा सिख और हिन्दू रहते थे !

एक दशक पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने एक रिपोर्ट में बताया था कि अफगानिस्तान में लगभग ३,००० सिख और हिन्दू रहते हैं । राजनीतिक प्रतिनिधित्व और पूजा-पाठ की स्वतंत्रता के बावजूद आतंकी हमलों और उत्पीडन से तंग आकर हजारों लोग भारत चले आए । अब जलालाबाद हमले के बाद कुछ सिखों ने शहर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास से शरण मांगी है ।

जलालाबाद में किताब और कपडे की दुकानों के मालिक बलदेव सिंह ने कहा, ‘हमारे पास केवल दो विकल्प बचे हैं – हम भारत चले जाएं या फिर इस्लाम कबूल कर लें !’ भारत ने अफगानिस्तान के सिख और हिन्दू समुदायों के लोगों को लंबी अवधि का वीजा जारी किया है । अफगानिस्तान में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा, ‘वे सभी बिना किसी सीमा के भारत में रह सकते हैं । अंतिम फैसला उन्हें लेना है । हम यहां उनकी मदद के लिए तैयार हैं !’

कुमार सुरक्षा हालात पर चर्चा के लिए देहली आए हुए थे । उन्होंने बताया कि सरकार हमले में मारे गए सिखों के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रही है । हालांकि कुछ सिख ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि वे अफगानिस्तान से कहीं नहीं जाएंगे । काबुल में सिख दुकानदार संदीप सिंह ने कहा, ‘हम कायर नहीं हैं । अफगानिस्तान हमारा देश है और हम कहीं नहीं जा रहे हैं !’

आपको बता दें कि रविवार को एक आत्मघाती हमलावर ने राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहे सिखों और हिन्दुओं के काफिले को निशाना बनाया था । इस हमले में १९ लोगों की मृत्यु हो गई और कई घायल हो गए थे !

स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

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