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मलेशिया में चैनल खोलने की योजना में जाकिर नाईक, विदेश मंत्रालय की सफाई

विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक अब मलेशिया में अपना नया चैनल खोलने के प्रयासों में जुटा है, परंतु भारत का कहना है कि उसके अनुरोध पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है, वहां की स्थिति के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता ।

जाकिर नाईक के देश के बाहर चैनल खोलने को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने कहा, ‘भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जाकिर नाईक का प्रस्ताव अभी अनिर्णीत है । उनको जमीन दिए जाने के मामले में अभी कुछ भी कह पाना आसान नहीं है । इस फोरम पर हम कुछ नहीं कह सकते !’

नाईक के भारत प्रत्यर्पण के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘हमने इस साल जनवरी में आपराधिक मामलों के आधार पर जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध किया था । इस स्थिति में मैं केवल यही कह सकता हूं कि हमारा प्रत्यर्पण अनुरोध मलेशिया प्रशासन की ओर से विचाराधीन है !’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम मलेशिया सरकार के साथ लगातार संपर्क में हैं । हम सरकार के साथ संपर्क में हैं !’

नाईक के पहले से ही कई टीवी चैनल चल रहे हैं । हालांकि नाईक का चैनल पीस टीवी को कई देशों में प्रतिबंध लगाया जा चुका है !

इससे पहले पिछले सप्ताह विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक ने मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की । मुलाकात से ठीक एक दिन पहले ही मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने जाकिर नाईक को प्रत्यर्पित कर भारत भेजने से इनकार कर दिया था !

प्रधानमंत्री मोहम्मद ने कहा था कि जब तक वह हमारे देश में कोई दिक्कत खड़ी नहीं कर रहे हैं तब तक उनका प्रत्यर्पण नहीं किया जाएगा । जाकिर को मलेशिया की नागरिकता भी प्राप्त है !

भारत की ओर से जनवरी में मलेशिया सरकार से नाईक को स्वदेश भेजने का औपचारिक अनुरोध किया गया था । वह भारत में नफरत फैलानेवाले अपने भाषणों से युवाओं को आतंकवादी गतिविधयों के लिए उकसाने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों का आरोपी है । दोनों देशों में प्रत्यर्पण संधि के बावजूद मलेशिया नाईक को भारत भेजने के लिए तैयार नहीं है !

एनआईए ने १८ नवंबर २०१६ को अपनी मुंबई शाखा में नाईक के खिलाफ यूएपीए कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था ।

नाईक ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा था, ‘अभी मेरा भारत आने की कोई योजना नहीं है, जब तक निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी तब तक वह नहीं आएंगे । जब मुझे लगेगा कि भारत में निष्पक्ष सरकार है वह तभी भारत वापस आएगा !’

बांग्लादेश में आतंकी हमले में हाथ !

डॉक्टर नाईक के विरोध में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड विधान की धारा २० (बी), १५३ (ए), २९५ (ए), २९८ और ५०५ (२) के तहत आरोप तय किए गए थे । बांग्लादेश में आतंकी हमले को अंजाम देनेवाले आतंकियों ने जब जाकिर से प्रभावित होने की बात कबूली, तो वो १ जुलाई, २०१६ को भारत से भाग गया ।

फिर नवंबर, २०१६ में जाकिर पर केस दर्ज किया गया और दिसंबर, २०१६ में जाकिर के एनजीओ को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बैन कर दिया ।

एनआईए ने जाकिर पर देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया था । आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए देश छोड़नेवाले भारतीय युवकों ने भी भारतीय एजेंसियों को बताया था कि वे जाकिर के भाषण से प्रभावित थे । जाकिर नाईक के पीस टीवी को कई देशों में बैन किया जा चुका है ।

स्त्रोत : आज तक

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