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राज्य के सभी देवस्थानों को अपने नियंत्रण में करने का सरकार का कोई विचार नहीं !
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शिर्डी देवस्थान के भ्रष्टाचार के विषय में उत्तर देने में मुख्यमंत्रीद्वारा टालमटोल !
मंदिर सरकारीकरण किए गए सभी देवस्थानों में करोडों रुपए का भ्रष्टाचार होते हुए भी ऐसा लोगों का दिशाभ्रम करनेवाला वक्तव्य देना, क्या मुख्यमंत्री को शोभा देता है ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात
श्री. सचिन कौलकर एवं श्री. प्रीतम नाचणकर, नागपुर
नागपुर : राज्य के देवस्थानों में चल रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए शासन ने मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। सभी मंदिर एवं देवस्थानों को अपने नियंत्रण में करने का शासन का कोई विचार नहीं है। शासनद्वारा शिर्डी देवस्थान को नियंत्रण में लेने के पश्चात वहां का भ्रष्टाचार रुका है। मंदिर सरकारीकरण कानून के अंतर्गत मंदिर की प्रविष्टि है। मस्जिद को निजी संपत्ति न मानकर उसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति माना जाता है !
वक्फ बोर्ड का व्यवस्थापन देखनेवाले चाहे दूसरे लोग हों; परंतु वक्फ बोर्ड के कानून के अंतर्गत मस्जिद उसकी संपत्ति मानी जाती है। अतः हम वक्फ बोर्ड को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकते ! महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस ने १६ जुलाई को पत्रकारों के साथ की गई बातचीत में ऐसा कहा। यहां के सिविल लाईन में उन्होंने पत्रकारों से अनौपचारिक भेंट की। उस समय दैनिक सनातन प्रभात के प्रतिनिधियों ने मंदिर सरकारीकरण के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए वे ऐसा बोल रहे थे। (शासनद्वारा शिर्डी, सिद्धिविनायक, श्री महालक्ष्मी मंदिर आदि मंदिरों का सरकारीकरण किए जाने के पश्चात हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने वहां चल रहा करोडों रुपयों का भ्रष्टाचार उजागर किया है। ऐसा होते हुए भी मुख्यमंत्री श्री. फडणवीस ऐसी झूठी जानकारी देकर करोडों भक्तों का दिशाभ्रम कर इस भ्रष्टाचार को क्यों छिपा रहे हैं ? सरकार ही भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है; इसलिए अब भक्तों को ही मंदिर सरकारीकरण के विरोध में संगठित होकर वैधानिक पद्धति से संघर्ष करना होगा ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
शासनद्वारा शिर्डी, श्री सिद्धिविनायक, कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर आदि देवस्थानों का सरकारीकरण करने के पश्चात वहां बहुत भ्रष्टाचार हो रहा है। मंदिरों को अपने नियंत्रण में करने के पीछे क्या सरकार की मंदिरों की संपत्ति पर कुदृष्टि है ? मस्जिदों एवं चर्च के पास भी बहुत संपत्ति है, साथ ही उन्हें विदेशों से भी धन मिलता है। इसलिए सरकार मस्जिदों एवं चर्च को अपने नियंत्रण में लेकर उनकी संपत्ति का उपयोग विकास के लिए क्यों नहीं करती ?, इस बातचीत में मुख्यमंत्री से ऐसे प्रश्न पूछे गए थे।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ….
१. हमने जब शनिशिंगणापुर के मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय लिया, उसके पश्चात धीरे-धीरे देवस्थान के वाहन एवं संपत्ति की प्रविष्टियां होने लगीं ! (मंदिरों को प्रामाणिक भक्त एवं न्यासी, इनके नियंत्रण में देकर भी वहां का भ्रष्टाचार रोका जा सकता है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. जहां बडी संख्या में भक्त आकर धन अर्पण करते हैं, उस पैसों का अपव्यय न हो, उस पैसे का उपयोग श्रद्धालु अथवा समाज के लिए हो; इस विचार से सरकार ने इन मंदिरों को अपने नियंत्रण में कर लिया है ! (सरकारीकरण किए गए देवस्थानों में बडी मात्रा में भ्रष्टाचार होकर भी मुख्यमंत्री देवस्थानों में देवधन का अपव्यय न हो, ऐसा कह रहे हैं, जो दुर्भाग्यजनक है ! समाज के विकासकार्यों के लिए जनप्रतिनिधियों को दिया जानेवाला निधी तथा सरकार की विविध योजनाओं में प्रबंधित निधि का उपयोग किया जाना चाहिए। उसके लिए मंदिरों में भक्तोंद्वारा अर्पण किए गए धन का उपयोग क्यों ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस से यह पूछा गया कि शिर्डी देवस्थान की ओर से नासिक के सिंहस्थ पर्व के लिए की गई ६६ लक्ष रुपए की सामग्री की खरीद में भ्रष्टाचार किया गया है, तब मुख्यमंत्री ने उसका उत्तर देना टाल दिया ! (जब सच्ची जानकारी के संदर्भ में प्रश्न पूछे जाते हैं, तब मुख्यमंत्री उत्तर देना टाल देते हैं, क्या इससे ऐसा समझ लिया जाए कि शिर्डी देवस्थान में भ्रष्टाचार हुआ है, इसे मुख्यमंत्री स्वीकार करते हैं ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. प्रतिवर्ष पंढरपुर में मुख्यमंत्री को पांडुरंग की पूजा-अर्चना करने नहीं देंगे, ऐसा चाहे किसान कहते हो; परंतु अब वह फैशन बन जाने के कारण मैं उसकी ओर ध्यान नहीं देता, ऐसा भी उन्होंने कहा !
५. सिंचाई घोटाले के प्रकरण में परिवाद प्रविष्ट किए जाने के पश्चात उसकी जांच में जो कुछ प्रगति हुई है, उसकी जानकारी न्यायालय में दी गई है। सरकारद्वारा कागजात प्रस्तुत किए गए हैं। इस प्रकरण की जांच के लिए न्यायालयीन समिति गठित की गई है।
६. नाणार के तेलशुद्धिकरण प्रकल्प के संदर्भ में विधानसभा में रखी गई भूमिका वैसी ही है। हमने शिवसेना को इसका श्रेय देने का प्रयास किया; परंतु उन्होंने श्रेय लेना अस्वीकार कर दिया। !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात