मंदिर महासंघ, मंदिर न्यास, पुजारी एवं हिन्दू संगठनों की नागपुर के धरना आंदोलन में चेतावनी
मंदिरों की रक्षा हेतु हिन्दुओं को लगातार इस प्रकार का आंदोलन करना पड़े, यह भाजपा सरकार के लिए लज्जास्पद ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
नागपुर : ‘मंदिर एवं धार्मिक संस्था महासंघ’ की ओर से १८ जुलाई को यहां के यशवंत स्टेडियम में धरना आंदोलन किया गया। उस समय सरकार को चेतावनी दी गई कि, ‘‘विद्यमान सरकार ने समस्त हिन्दू श्रद्धालु, पुजारी, न्यासी, हिन्दू संगठनोंद्वारा हो रहे विरोध की ओर अनदेखा कर केवल हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करने की ठान ली है ! शनिशिंगणापुर के पश्चात मुंबई का श्री मुंबादेवी एवं जेजुरी का श्री खंडोबा इन देवस्थान के संदर्भ में भी विशेष अधिनियम पारित कर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में लाने का सरकार का षडयंत्र है ! इससे पूर्व सरकारीकरण हुए मंदिरों का करोडों रुपयों का भक्तों एवं श्रद्धालुओंद्वारा अर्पित धन का सामाजिक एवं शासकीय कार्य के लिए उपयोग, धार्मिक प्रथा-परंपरा निरस्त करना, नित्योपचार पूजा बंद करना, धार्मिक साहित्य मंदिर में ले जाने के लिए प्रतिबंध करना, मंदिरों की पवित्रता भंग करना, परंपरागत पुजारियों को निकालना, मंदिरो की सहस्त्रों एकड भूमि गबन करना, अलंकार गबन करना जैसी अनेक आपत्तियां हिन्दुओं के मंदिरों पर आ रही हैं; तो दूसरी ओर मुसलमान एवं ईसाईयों के धार्मिक स्थलों की ओर देखने का साहस भी सरकार नहीं करती ! मंदिरों में भ्रष्टाचार करनेवालों पर कार्रवाई नहीं की जाती !
इन सभी अन्यायों के विरोध में लडने के लिए महाराष्ट्र के प्रमुख मंदिर न्यास, पुजारी, पदाधिकारी एवं धार्मिक संस्थाओं का एक महान संगठन निर्माण हो रहा है। अपितु यदि सरकार ने हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण करना नहीं रोका, तो सभी मंदिर न्यास एवं हिन्दू संगठनों को सडक पर आकर राज्यव्यापी जनआंदोलन करना पडेगा !
इस अवसर पर ‘केवल हिन्दुओं के ही मंदिरों का सरकारीकरण करनेवाले सरकार का निषेध है’, जैसी अनेक घोषणाएं दी गई। इस आंदोलन का सूत्रसंचलन हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अतुल अर्वेन्ला ने किया।
हाल ही में पुणे में हुई एक बैठक में कोल्हापुर, तुळजापुर, पंढरपुर, अक्कलकोट, सोलापुर, गणपतिपुळे, जेजुरी, मांढरदेवी के मंदिरों के अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे। उस समय प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी ने भी सरकार को किसी मंदिर के संदर्भ में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी थी !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात