शासन ऐसा एक तो मंदिर दिखाए, जहां सरकारीकरण होने पर वहां का भ्रष्टाचार रुक गया हो ! – श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र राज्य समन्वयक, मंदिर एवं धार्मिक संस्था महासंघ
नागपुर (महाराष्ट्र) : शासनद्वारा जिन जिन मंदिरों को अपने नियंत्रण में लिया गया है, उनकी स्थिति आज क्या है ? वास्तविकता तो यह है कि सरकारीकरण किए गए मंदिरों में भ्रष्टाचार बढ गया है । शासन ऐसा एक तो मंदिर दिखाएं, जिसका सरकारीकरण किए जाने से वहां का भ्रष्टाचार रुक गया हो ! मंदिर एवं धार्मिक संस्था महासंघ के महाराष्ट्र राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने शासन से ऐसा प्रश्न पूछा है ! मंदिरों के व्यवस्थापन में सुधार लाने के नाम पर हिन्दुओं के मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बनाया गया ‘मंदिर सरकारीकरण कानून’ के विरोध में महासंघ की ओर से १८ जुलाई को यहां के लोकमान्य तिलक भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे ।
इस अवसर पर कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर के श्रीपूजक सर्वश्री अजिंक्य मुनीश्वर, मयूर मुनीश्वर, तुळजापुर के श्री भवानी मंदिर के मुख्यपूजक श्री. अमित कदम, नागपुर के टेकडी गणेश मंदिर के सचिव श्री. श्रीराम कुलकर्णी, पूर्व सचिव श्री. अरुण कुलकर्णी एवं हिन्दू जनजागृति समिति के विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर उपस्थित थे ।
इस अवसर पर श्री. सुनील घनवट ने कहा,
१. राज्य में दियाबाती की सुविधा भी न रहनेवाले अनेक मंदिर हैं, जिनकी उपेक्षा हो रही है ! सरकार ऐसे मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर वहां सुधार करें ! इन मंदिरों में यदि सरकार ने पारदर्शी कार्यभार किया, तो लोग आगे का विचार करेंगे !
२. सरकार श्री शनैश्चर मंदिर, जेजुरी मंदिर एवं श्री मुंबादेवी मंदिर, इन मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने की सिद्धता में है । समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, श्रद्धालु एवं मंदिरों के न्यासी सरकार की इस नीति के तीव्र विरोधी हैं !
३. मुख्यमंत्री ने यह जानकारी दी कि मस्जिद एवं मदरसों की भूमि वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में होने के कारण सरकार उसे अपने नियंत्रण में नहीं ले सकती, अपितु सरकार अपने अधिकारों का उपयोग कर चर्च एवं मदरसों को अपने नियंत्रण में ले सकती है; परंतु सरकार में यह साहस नहीं है !
४. सरकार ने यदि मंदिरों की परंपराओं में हस्तक्षेप किया, तो हम राज्यव्यापी आंदोलन चलाएंगे !
क्या सरकार अन्य धर्मियों की धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप करने का साहस दिखाएगी ? – श्री. अमित कदम
एक ओर तो शासन ‘डिजिटल इंडिया’ का पुरस्कार करती है; परंतु दुसरी ओर तुळजापुर के श्री भवानी मंदिर में दर्शन के लिए पास दिए जाते हैं । वहां १०० रुपए देकर १० फीट की दूरी से दर्शन दिया जाता है । ५ घंटोंतक पंक्ति में खडे रहनेवाले श्रद्धालुओं से दर्शन के लिए २० रुपए लिए जाते हैं । शासन श्रद्धालुओं को लूट रहा है । सुरक्षा के नाम पर दशहरे के दिन श्री भवानी मंदिर में पिछले द्वार से प्रवेश दिया जाता है और श्रद्धालुओं को तीर्थ देते समय उनसे १० रुपए लिए जाते हैं । यह मंदिर का व्यापारीकरण है । क्या, हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप करनेवाली सरकार अन्य धर्मियों की धार्मिक बातों में हस्तक्षेप करने का साहस दिखाएगी ? तीर्थस्थान के विकास के लिए ३ सहस्र ५०० कोटि रुपए की धनराशि प्राप्त होकर भी अभी तक यहां श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला का निर्माण भी नहीं किया गया है !
मंदिर सरकारीकरण के विरोध में न्यायालयीन संघर्ष करेंगे ! – श्री. अजिंक्य मुनीश्वर
कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर में हमारी ५२ पीढीयां सेवा में हैं । विगत १०-१५ वर्षों से मंदिर की आय बढी है । उसके पहले हमने अपने पैसों से देवी की सेवा की । यदि पैसों का ही प्रश्न है, तो हमें मंदिर की आय में भागीदारी भी नहीं चाहिए । मंदिर का सरकारीकरण करते समय हमें विश्वास में नहीं लिया गया । मंदिर सरकारीकरण करनेवाले सरकार की मैं निंदा करता हूं । हम मंदिर सरकारीकरण के विरोध में न्यायालयीन संघर्ष करते रहेंगे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात