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सबरीमाला मंदिर का पक्ष रखने वाले वकील साई दीपक की सुप्रीम कोर्ट ने की सराहना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भगवान अयप्पा के ‘ब्रह्मचर्य चरित्र’ को जानते हुए भी 10 से 50 साल की महिलाओं को मासिक धर्म के आधार पर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से रोकने को अदालत अनदेखा नहीं कर सकती। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर का पक्ष रखने वाले वकील साई दीपक की जमकर तारीफ की।

उन्होंने कहा कि वकील ने प्रभावशाली तरीके से पक्ष रखा कि बतौर ‘न्यायिक व्यक्ति’ भगवान अयप्पा को संविधान के तहत अपना ब्रह्मचर्य सुरक्षित रखने का अधिकार है। चीफ जस्टिस ने विशेष रूप से कहा,  ‘आपका तर्क प्रभावशाली है, मैं इसे स्वीकार करता हूं।’ लेकिन कोर्ट इस पर चुप नहीं बैठ सकता कि महज शारीरिक कारणों (मासिक धर्म) से महिलाओं को प्रवेश से रोका जाए।

मंदिर प्रवेश पर रोक को इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य की चुनौती वाली याचिका पर पीठ ने पूछा कि क्या सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 की उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित करना ‘अनिवार्य और अभिन्न’ धार्मिक परंपरा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके अनिवार्यता परीक्षण में जाने की जरूरत नहीं है और इसका मूल यह है कि क्या संविधान सभी पहलुओं से ऊपर है।

यदि ऐसा है तो कोई भी महिलाओं को मंदिर जाने से नहीं रोक सकता। वकील दीपक ने भगवान अयप्पा का बचाव करते हुए कहा कि अदालत और अन्य को मंदिर पर अपना विचार नहीं थोपना चाहिए। उन्होंने कहा कि कल को कोई कह सकता है कि वह ‘प्रसाद’ में चिकन चढ़ाना चाहता है, तो क्या ऐसा प्रस्ताव माना जाएगा।

इसलिए धर्म और ईश्वर का कानून बदला नहीं जा सकता। वकील ने पीठ से कहा कि लोगों के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए साथ ही भगवान के अधिकार को भी सुरक्षित रखने की जरूरत है। मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

स्त्रोत : अमर उजाला

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