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भड़काऊ भाषण केस में वरूण गांधी बरी !

फाल्गुन कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११४


पीलीभीत। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व सांसद वरूण गांधी को भड़काऊ भाष्ण में राहत देते हुए अदालत ने उन्हें कोतवाली क्षेत मे भड़काऊ भाषण देने के मामले में बरी कर दिया। मामले की अगली सुनवाई एक मार्च को होगी। कोतवाली क्षेत्र व बरखेडा थाना क्षेत्र में चुनावी सभाओं में भड़काऊ भाषण देने के दोनों मामलों में न्यायालय से गांधी को राहत मिल गई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अब्दुल कयूम ने कोतवाली क्षेत्र में भड़काऊ भाषण के आरोप से मुक्त करते हुए वरूण गांधी को बरी कर दिया।

बरखेडा थाना पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमें में सामाजिक कार्यकर्ता की धारा ३११ के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। वरूण गाधी के विरूद्ध कोतवाली सदर व थाना बरखेडा पुलिस ने २००९ के लोकसभा चुनाव के दौरान सभाओं में वर्ग विशेष् को निशाना बनाकर भड़काऊ भाष्ण देने के मामले दर्ज किए थे। दोनो ही मामलों में न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसमें सभी पक्षों के बयान भी हो चुके थे।

बुधवार को न्यायालय द्वारा निर्णय सुनाया जाना था। मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद असद हयात जनरल सेक्रेटरी आवामी कौंसिल फॉर डेमोक्रेसी एंड पीस निवासी इलाहाबाद ने सीजीएम कोर्ट में बरखेडा थाना पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमें में एक प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें आरोप लगाया गया कि विभिन्न संचार माध्यमों पर प्रसारित वरूण गांधी के भड़काऊ भाषण को जब उसने देखा तो उसकी भावनाएं आहत हुईं। उसका ध्यान इस मामले में तब गया जब पिछले दिनों सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने वरूण पर दर्ज हुए मुकदमों को वापस करने का बयान दिया। जब उसने इस मामले को गम्भीरता से संज्ञान में लिया तो पाया कि पुलिस ने अपना कार्य संजीदगी से नहीं किया।

पुलिस ने अदालत के सामने वरूण गाधी की आवाज का सैम्पल लेने के आदेश का प्रयास नहीं किया जबकि फोरेन्सिक लेब ने वरूण गांधी की आवाज के सैम्पिल की मांग की थी। जिससें वरूण गाधी के इस झूठ का खुलासा हो सकता था कि वे मौके पर तो थे लेकिन आवाज उनकी नहीं थी। संचार माध्यमों में उनकी तस्वीर पर डब की कई आवाज है।

असद हयात ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि पुलिस के द्वारा अदालत में पेश किए गए गवाह भी एक-एक करके मुकर गए। उसने इस खबर को प्रसारित करने वाले चैनलों के लोगों को भी गवाह बनाए जाने की बात प्रार्थना पत्र में की थी।

सीजीएम ने इस प्रार्थना पत्र पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुना व कहा कि प्रार्थना पत्र विवेचना पूर्ण होने के बाद दिया गया है व बलहीन है अत: निरस्त किया जाता है। जबकि कोतवाली सदर क्षेत्र के मोहल्ला डालचन्द में सभा के दौरान भड़काऊ भाष्ण देने के मामले में दर्ज किए मुकदमे में सीजेएम अब्दुल कयूम ने वरूण गांधी को दोष्मुक्त कर दिया। न्यायालय में उपस्थित वरूण गाधी के सामने सीजेएम ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि इस मामले के सभी गवाह पक्ष द्रोही रहे जिस कारण उन पर दोष् सिद्ध नहीं हुआ अत: उन्हें दोष्मुक्त किया जाता है।

वरूण गांधी ने निर्णय के उपरान्त न्यायलय से बाहर आने के बाद पत्रकारों से वरूण गांधी ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर हमेशा भरोसा रहा है और यही विश्वास इस निर्णय से मजबूत हुआ। उनसे यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अपनी आवाज का नमूना देने से क्यों मना कर दिया इस पर उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में दिया गया प्रार्थना पत्र न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा चुका है।

स्त्रोत  –  पत्रिका

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