मिरज (महाराष्ट्र) : २७ जुलाई को मिरज के कन्या महाविद्यालय में गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती गौरी खिलारे मार्गदर्शन कर रही थी। अपने मार्गदर्शन में उन्होंने ऐसा प्रतिपादित किया कि, ‘पाश्चात्त्यों ने अनेक शोध लगाएं, ऐसा माना जाता है। वास्तविक भारत में गुरु-शिष्य परंपरा के कारण अगाध ज्ञान था। उसी कारण ही महर्षि आर्यभट्ट, सुश्रृत तथा अनेक ऋषियों ने पाश्चिमात्त्यों को अज्ञात ऐसे अनेक शोध लगाएं !
धर्माधिष्ठित ज्ञानार्जन पद्धति के कारण पहले की शिक्षणपद्धति समृद्ध थी। इसके विपरीत वर्तमान की मेकॉले शिक्षण पद्धति के कारण छात्रों को आवश्यक ज्ञान प्राप्त ही नहीं हो रहा है !’
इस समय प्राचार्य श्री. झाडबुके उपस्थित थे। प्रस्तावना महाविद्यालय की प्राचार्या (श्रीमती) शर्वरी कुलकर्णी ने की। दीपप्रज्वलन के पश्चात कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का लाभ ५०० से भी अधिक छात्राओं ने ऊठाया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अध्यापक, प्राचार्य तथा अन्य कर्मचारी वर्ग उपस्थित था।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात