श्रावन का महीना चल रहा है। इस पवित्र महीने में भक्त शिवजी की आराधना में विलीन रहते हैं। वैसे तो श्रावण के महीने को लेकर कई सारी बातें लोगों को पता हैं, परंतु क्या आप जानते हैं, केवल भारत ही नहीं, दुनियाभर के कई देशों में शिवजी के मंदिर हैं और इन मंदिरों में भी पूरे रीति-रिवाज के साथ लोग भगवान शिवजी की आराधना करते हैं। तो चलिए आज हम आपको भारत के अलावा पूरी दुनिया में कहां-कहां शिव मंदिर हैं, उसके बारे में बताते हैं।
ये श्रीलंका में स्थित मुन्नेश्वरम मंदिर है। मुन्नेश्वर गांव में बने इस मंदिर में भगवान शिव की अराधना होती है। इस मंदिर को रामायण काल से भी जोड़ा जाता है जिसमें कहा गया है कि भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद इसी मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी। कहा जाता है पुर्तगालियों ने इस मंदिर पर दो बार हमला करके नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था। यहां भगवान शिव के अलावा देवी काली की भी पूजा होती है। यहां ५ और भगवानों की मूर्ति स्थापित है।
मलेशिया के जोहोर बरु में स्थित अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन यहां का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। जिस जमीन पर ये मंदिर बना है उसे जोहोर बरु के सुल्तान ने भारत को भेंट के तौर पर दी थी। ये मंदिर बेहद भव्य है और इसकी दीवारों पर ३ लाख मोतियों को चिपकाया गया है। १९२२ के आसपास इस मंदिर का निर्माण किया गया था।
मलेशिया की राजधानी क्वालालमपुर में एक और हिन्दू मंदिर है जिसे रामलिंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। 2011 से वहां की एक ट्रस्ट इस मंदिर को चला रही है। यहां हमेशा ही शिवभक्तों का तांता लगा रहता है।
नेपाल के बागमती नदी के किनारे बने पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालू आते हैं। मान्याता के अनुसार इस मंदिर को ११वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसे दोबारा १७वीं शताब्दी में बनाया गया। यूनेस्को ने इसे अपने वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल किया है। इस मंदिर में भगवान शिव की चार मुंह वाली मूर्ति लगी है। साथ ही मंदिर में चार द्वार हैं जो चांदी के बने हुए हैं।
इंडोनेशिया के जावा में भी भगवान शिव का एक प्रमुख मंदिर बना हुआ है जिसे प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये १०वीं शताब्दी में बना था। भारत से बाहर बने हिन्दू मंदिरों में ये सबसे बडे मंदिरों में से एक है। यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हैरटेज घोषित किया है।
आप सुनकर हैरान रह जाएंगे कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में भी एक प्रचीन शिव मंदिर है। इसे काटस राज मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसका निर्माण छठी शताब्दी से लेकर नौवीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। ये चकवाल गांव से ४० किमी दूर कटस की पहाड़ियों पर बना हुआ है। इस मंदिर में मौजूद एक कुंड को लेकर मान्यता है कि माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव इतना रोए थे कि उनके आंसुओं से ये कुंड भर गया था।
तिब्बत के मानसरोवर झील से घिरे कैलाश पर्वत जिसे कैलाश मानसरोवर के नाम से भी जाना जाता है, मान्यता है कि यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। ये चीन की सरहद के अंदर आता है। भारत से हर साल लोग इसके दर्शन के लिए जाते हैं।
स्त्रोत : न्यूज १८