हिन्दू जनजागृति समिति की मांग का समर्थन करते हुए शिवसेना के विधायक सर्वश्री सुनील राऊत, अजय चौधरी, सदानंद चव्हाण एवं भाजपा विधायक नरेंद्र पवार की मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर मांग
मुंबई : विज्ञापन, नाटक, चलचित्र, चित्रप्रदर्शनी, पुस्तकें, व्यासपीठ, यु-ट्यूब, सामाजिक संकेतस्थल, समाचारपत्र एवं अन्य माध्यमोंद्वारा हिन्दू धर्म, धर्मग्रंथ, देवता, संत एवं राष्ट्रपुरुषों का खुला अनादर किया जा रहा है ! इसे रोकने के लिए धारा २९५ एवं २९५ (अ) ये विधियां इसके विरोध में उचित कार्रवाई करने के लिए अपर्याप्त सिद्ध हो रही हैं ! इसलिए एक नया कठोर कानून बनाया जाए; इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है। इस मांग का शिवसेना के विधायक सर्वश्री सुनील राऊत, अजय चौधरी, सदानंद चव्हाण एवं भाजपा विधायक श्री. नरेंद्र पवारद्वारा संपूर्ण समर्थन दिया गया है। इसके लिए इन विधायकों ने ३१ जुलाई को मुख्यमंत्री को एक पत्र प्रस्तुत कर देवी-देवताओं, संत-महंतों का अनादर रोकने के लिए तत्परता के साथ एक नया कानून बनाने की मांग की है ! इसके पहले शिवसेना विधायक सर्वश्री भरतशेठ गोगावले, बालाजी किणीकर, ज्ञानराज चौगुले, सुरेश गोरे, शशिकांत खेडेकर, रूपेश म्हात्रे, मनोहरशेठ भोईर एवं राजेश क्षीरसागरद्वारा इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र प्रस्तुत किया गया है ! (क्या शासन जनप्रतिनिधियोंद्वारा की गई इस मांग का संज्ञान लेगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इन जनप्रतिनिधियोंद्वारा मुख्यमंत्री को दिए गए पत्र में कहा गया है कि,
१. भारतीय संविधान ने हरएक नागरिक को धार्मिक आचार-विचारों की स्वतंत्रता प्रदान की है। उसकी रक्षा करना, शासन का संवैधानिक दायित्व है !
२. भारतीय समाज श्रद्धालु है एवं वह भक्तिभाव से देवी, देवता एवं अपने आस्थाकेंद्रों का पूजन करता है। वह धार्मिक एवं भावनिकदृष्टि से बहुत संवेदनशील होता है; परंतु आज कुछ केवल धन कमानेवाले लोग, जातिवादी, देशद्रोही, एवं कथित आधुनिकतावादी लोग कला, अविष्कार एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य के नाम पर अतिरेक और स्वैराचार कर जानबूझकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का दुष्कृत्य कर रहे हैं, खेल रहें हैं ! उससे समाज में कानून एवं सुरक्षा की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। आगे जाकर हिंसा एवं दंगें होने तक वातावरण प्रदूषित होता है !
३. इससे पहले फेसबुक के माध्यम से माननीय हिन्दूहृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे, प्रभु श्रीराम, श्री हनुमान एवं छत्रपति शिवाजी महाराज के अत्यंत आपत्तिजनक एवं उनका अनादर करनेवाले चित्र प्रसारित कर हिन्दुओं की भावनाओं को भडकाने का षड्यंत्र रचा गया था !
४. लोग न थूंके, कचरा न फेंके और मूत्रविसर्जन न करें, इसके लिए संपूर्ण राज्य के विविध स्थानों, दीवारों पर, कोनों में देवी-देवताओं के चित्रवाले फर्श लगाए जाते हैं और इससे देवताओं का अनादर होता है !
५. अतः शासन ने तुरंत एक कठोर एवं सक्षम ऐसा कानून बनाने की आवश्यकता है। आनेवाले ३ मासों में शासन ऐसा कठोर कानून बनाए !
६. पुलिस प्रशासन अपने स्तर पर कभी-कभी आदेश निकाल कर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास करता है; परंतु वह पर्याप्त नहीं होता ! अतः आप नया कानून बनाने तक राज्यस्तर पर शाश्वतरूप से एक मार्गदर्शक एवं परिपूर्ण परिपत्रक इस संदर्भ में निगर्मित करें !
‘आस्था केंद्रों का अनादर रोकना’ इस संदर्भ में विद्यमान कानून अपर्याप्त ! – हिन्दू जनजागृति समिति
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा ऐसा भी प्रश्न उपस्थित किया गया है कि, देवता एवं आस्था केंद्रों का अनादर रोकने के लिए समिति की ओर से सरकार को अनेक बार ज्ञापन प्रस्तुत किये गए हैं, आंदोलनें चलाई गई हैं, साथ ही विधानसभा में अनेक वर्षों से मांग उठा कर भी अभीतक शासन ने इसके लिए एक पर्याप्त कानून नहीं बनाया है। अब इतने जनप्रतिनिधियोंद्वारा की गई मांग के आधार पर तो सरकार ऐसा कानून बनाएगी, क्या ?
इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किये गए ज्ञापन में कहा गया है कि, . . .
१. विद्यमान कानून के अनुसार यदि दोषियों के विरोध में विधिजन्य कार्रवाई करनी हो, तो उसके लिए राज्य शासन की अनुमति आवश्यक होती है। ऐसी किसी घटना के कारण धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं अथवा उससे कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई है, ऐसा यदि शासन को लगता है, तभी दोषियो के विरोध में कार्रवाई होती है। इसके कारण अपराधियों को अभय मिलता है। फलस्वरूप देवताओं के अनादर के विरोध में विधिजन्य कार्रवाई करने में मर्यादाएं आती हैं, जिसका हम विगत कुछ वर्षों से अनुभव कर रहे हैं !
२. केरल की वामपंथी विचारधारावाली प्रा. दुर्गा मालती ने अपने फेसबुक पेज पर करोडों हिन्दुओं के आस्था के केंद्र रहे भगवान शिव, त्रिशूल एवं अन्य आस्था केंद्रों को पुरुष के लिंग के रूप में दिखा कर उसे करोडों लोगोंतक प्रसारित किया ! ‘ओ माई गॉड’, ‘पीके’, ‘बहन होगी तेरी’, ‘पद्मावत’ आदि चलचित्रों के पश्चात अब ‘३ देव अंडरकवर भगवान’ नामक हिन्दी चलचित्र में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश इन देवताओं को आधुनिक अभिनेताओं के स्थान पर दिखाया गया है। इसके विरोध में अनेक स्थानों पर आंदोलनें चलाई गई और परिवाद भी प्रविष्ट किए गए; परंतु उसके विरोध में किसी भी प्रकार की कार्रवाई अभीतक नहीं की गई !
३. अतः विविध माध्यमोंद्वारा हिन्दू धर्म, धर्मग्रंथ, देवी-देवता, संत एवं राष्ट्रपुरुषों के हो रहे अनादर को रोकने के लिए शासनद्वारा एक कठोर कानून यथाशीघ्र बनाया जाना चाहिए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात