बडे अरमान लेकर वे शादी के बाद अपने पति के घर आयी थीं। हर सुख दुख में साथ देने का वादा किया था। परंतु कुछ समय इन महिलाओं के साथ ऐसा हुआ, जिसे वे शायद ही भुला पाएं। पति ने उन्हें तलाक दे दिया। दोबारा साथ रखने के नाम पर उनके साथ ‘हलाला’ किया गया। किसी के साथ पडाेसी ने तो किसी के साथ मौलवी ने हलाला किया। और तो और ससुर (पति के पिता) के साथ भी हलाला करना पडा। इसके बाद भी कई को उनके पति ने नहीं अपनाया। कुछ को अपनाया भी तो उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता है। अपमान भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कभी-कभी उन्हें लगता है कि, इससे बेहतर तो मौत रहती। बुधवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित राज्य अल्पसंख्यक आयोग में पहुंच पीडिताओं ने अपनी दर्द भरी दांस्ता सुनाई। उनकी दांस्ता सुनने के बाद आयोग ने अब इनकी सहायता करने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले के नखसा थाना क्षेत्र मोहल्ले में एक मुस्लिम महिला के साथ दो बार हलाला करने का मामला सामने आया है। एक बार उसे देवर के साथ हलाला करवाया गया और दूसरी बार ननदोई के साथ। पीडिता के अनुसार, पांच साल पहले उसका निकाह हुआ था। निकाह के बाद दहेज के लिए प्रताडित किया जाने लगा। इस बीच १६ जून को २०१८ को उसके शौहर ने तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया। बाद में समझौते के बाद १९ जून को उसे देवर के साथ हलाला करवाया गया। एक माह बाद १९ जुलाई को उसके पति ने फिर से तलाक दे दिया और इस बाद उसके ननदोई के साथ हलाला करवाया गया।
इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के बरेली से एक मामला सामने आया था जहां पति से तलाक के बाद ससुर के साथ हलाला करवाया गया। हलाला के बाद इद्दत की अवधि के दौरान उसके पति ने जबरदस्ती संबंध बनाए। इस दौरान महिला गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। अब पति यह कहकर महिला को साथ रखने को तैयार नहीं है कि बच्चा उसका नहीं है।
हलाला को लेकर इस तरह के मामले पहली बार सामने नहीं आये हैं। आये दिन खबरें आती रहती हैं कि पति ने तलाक दे दिया और फिर समझौता होने के बाद दुबारा साथ रखने के लिए महिला का हलाला करवाया गया। हलाला करने वालों में उसके रिश्तेदार से लेकर मौलवी तक शामिल होते हैं। इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष तनवीर हैदर उस्मानी ने कहा कि, “सभी पीडिताओं को न्याय दिलाया जाएगा। हलाला के नाम पर वेश्यावृति हो रही है। हमने इस संबंध में संबंधित जिलों के डीएम-एसएसपी से रिपोर्ट मांगी है। सरकार को तीन तलाक की तरह हलाला पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाना चाहिए।”
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