आगरा : भारत में पहले धर्मनिरपेक्ष शासनपद्धति कभी नहीं थी। त्रेतायुग के राजा हरिश्चंद्र, प्रभु श्रीराम, द्वापरयुग के महाराज युधिष्ठिर, कलियुग के सम्राट चंद्रगुप्त, छत्रपति शिवाजी महाराज, विजयनगर के सम्राट कृष्णदेवराय, अफगानिस्तान के राजा दाहीर एवं राजस्थान के महाराणा प्रताप आदि सभी राजा धर्मनिरपेक्ष नहीं थे ! इन सभी राजाओं के राज्य हिन्दू राष्ट्र ही थे !
स्वातंत्र्य प्राप्ति के समय ५६३ राजसंस्थान हिन्दू पद्धति से ही राज्यशकट चलाते थे। वर्ष १९४७ में भारत हिन्दू राष्ट्र ही था; परंतु वर्ष १९७६ में तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया। इस धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र ने भारत और हिन्दुओं को बहुत बडी हानि पहुंचाई है; इसलिए भारत को पुनः हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए क्रियाशील हिन्दू एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को संगठितरूप से कार्य करने की आवश्यकता है। सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने यहां आयोजित हिन्दूसंगठन बैठक में ऐसा प्रतिपादित किया।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के आगरा समन्वयक श्री. ठाकुर सिंह ने बैठक का उद्देश्य स्पष्ट किया। इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. श्रीराम लुकतुके भी उपस्थित थे। इस बैठक मे आगरा के विविध हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस बैठक में हर १५ दिनों में एक बार हिन्दूसंगठन बैठक का आयोजन करना सुनिश्चित किया गया।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात