मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा , कलियुग वर्ष ५११६्
हिन्दू बहुसंख्यक देशमें ऐसी मांग क्यों करनी पडती है ?
यही है वह हिन्दुओंको भ्रमित करनेवाला फ्लेक्स फलक !
सोलापुर (महाराष्ट्र) – यहांकी ‘ईसाई समाज बहुद्देशीय संस्था, सोलापुर’द्वारा ईसाई मिशनरी जयशाली पी.डी. सुंदररावके ‘क्या ईश्वर हैं ? यदि हैं, तो विश्वास क्यों रखें ?’ विषयपर २५ से २८ नवम्बरकी कालावधिमें प्रार्थनासभाओंका आयोजन किया गया है । इस सन्दर्भमें विविध स्थानोंपर फ्लेक्स फलक लगाए गए हैं । स्थानीय हिन्दुनिष्ठ संगठनोंद्वारा पुलिस आयुक्तसे ये सभाएं निरस्त करनेकी मांग की गई है । (ईसाईयोंद्वारा हिन्दुओंको फंसाकर करनेवाला धर्मपरिवर्तन रोकने हेतु संगठित हुए संगठनोंका अभिनन्दन ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात )
निवेदनमें कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रमोंकी आडमें ईसाई सार्वजनिक सभाओंके माध्यमसे हिन्दुओंके देवी-देवता तथा सन्तोंकी आलोचना करते हैं, धार्मिक भावनाओंको भडकाते हैं तथा हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करते हैं । ‘सभास्थलपर आनेपर बहरापन तथा गूंगापन दूर हो जाएगा’, ऐसा झूठा बताया जाता है । अज्ञानी एवं असहाय हिन्दू इसपर बलि चढते हैं । इसलिए इस कार्यक्रमको स्थानीय जनताका तीव्र विरोध है । मूलतः इस प्रकारसे विज्ञापन अथवा प्रचार करना ‘ड्रग्ज एंड मैजिक रेमिडीज (ऑबजेक्शनेबल अॅडवरटाईजम)एक्ट १९५४’ के अनुसार प्रविष्ट अपराध है । ऐसा कार्यक्रम करना जादूटोनाविरोधी अधिनियम २०१३ के अनुसार ध्यान देने योग्य एवं अजमानती (गैरजमानती) अपराध है । अतः यह कार्यक्रम निरस्त करें । उन्हें वैधानिक रूपसे सूचना (नोटिस) दी जाए, उनके कार्यक्रमका पूरा विवरण एवं वक्ताओंके भाषणकी सर्वसंहिता मंगवा कर उसमें कहीं कुछ आपत्तिजनक नहीं है इसकी जांच करा लें । इसकी जानकारी सभी हिन्दुनिष्ठ संगठनोंको दी जाए ।
निवेदन देते समय हिन्दू जनजागृति समिति, धर्मजागरण समन्वय विभाग, सोलापुर एवं अन्य हिन्दुनिष्ठ संगठनोंके सर्वश्री बापू ढगे, संजय सालुंखे, सत्यनारायण गुर्रम, सतीश कुंचपोर, बालाजी सालुंखे, ओमप्रकाश चौहान, बाबू मनगुले, रमेश आवार, हीरालाल तिवारी आदि उपस्थित थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात