‘एबीपी माझा’ पर सायंकाल के सत्र में ‘पुनः भगवा दहशतवाद ?’ इस विषय पर चर्चासत्र
मुंबई : ‘एबीपी माझा’ पर सायंकाल के सत्र में ‘पुनः भगवा दहशतवाद ?’ इस विषय पर चर्चासत्र आयोजित किया गया था। उसमें हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहां कि, ‘आजतक पुलिस की कार्रवाई देखते हुए यह बात ध्यान में आती है कि, उसमें केवल हिन्दूत्वनिष्ठों को ही कष्ट पहुंचाने का प्रयास किया गया। श्री. वैभव राऊत ने गोरक्षा हेतु संविधानिक मार्ग से प्रयास किए। ऐसा प्रामाणिक कार्यकर्ता होते हुए भी पुलिस ने उन पर देर रात्रि कार्रवाई की। वह संदेहास्पद है ! आतंकवादविरोधी पथक के अधिकारी कार्रवाई करने हेतु आए; किंतु श्री. राऊत के परिवार को किसी भी प्रकार की पूर्वसूचना नहीं दी गई ! मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण में भी हिन्दूत्वनिष्ठ निरपराध होते हुए भी उन्हें उसमें बंदी बनाया गया था। अतः श्री. राऊत को बंदी बनाना अर्थात मालेगांव प्रकरण की पुनरावृत्ति है !’ उस समय उन्होंने ऐसा भी कहा कि, ‘कसाब, बुरहान वाणी, अफझल को बंदी बनाने के पश्चात कभी भी आतंकवाद का निषेध नहीं किया गया; किंतु हिन्दुओं को बंदी बनाने के पश्चात त्वरित निषेध की भाषा की जाती है !’ इस चर्चासत्र का सूत्रसंचलन ‘एबीपी माझा’ की श्रीमती नम्रता वागळे ने किया।
इस चर्चासत्र में हिन्दू गोवंश रक्षा समिति के समन्वयक श्री. दीप्तेश पाटिल, निवृत्त पुलिस सहआयुक्त श्री. वाय. सी. पवार, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुनील घनवट, मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण में वैधानिक सहायता करनेवाले गुलजार आझमी उपस्थित थे।
श्री. घनवट ने की एबीपी माझा वाहिनी को की, विनती !
मैं यह विनती करता हूं कि, ‘भगवा आतंकवाद’ इस प्रकार का शीर्षक चर्चासत्रों के लिए न दें ! क्योंकि यह संकल्पना ही अस्तित्व में ही नहीं है !’
मान्यवरोंद्वारा प्रस्तुत किया गया मतप्रदर्शन
संविधानिक मार्ग का उपयोग करनेवाले श्री. वैभव राऊत निरपराध है ! – श्री. दीप्तेश पाटिल, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति
१. श्री. वैभव राऊत ने आजतक नालासोपारा में हुई गोवंश हत्याओं के विरोध में ३७ परिवाद प्रविष्ट किए हैं ! हर बार संविधानिक मार्ग का उपयोग करनेवाले श्री. वैभव राऊत इस प्रकार का कुछ अवैधानिक कार्य करेंगे, एेसा प्रतीत ही नहीं होता।
२. उनके घर में आतंकवादविरोधी पथक के अधिकारी, पुलिस गए थे; किंतु वहां किसी भी प्रकार का पंचनामा नहीं किया गया। अतः पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है !
श्री. दीप्तेश पाटिल का निर्भिडता पूर्वक विचार
१. चर्चासत्र में श्री. पाटिल बाेलते समय ही श्री. वाय. सी. पवार ने उन्हें कहा कि, ‘‘यदि इतनी देर रात्रि पुलिस वहां आएं थे, तो वहां आप क्या कर रहे थे ?’’ इस पर श्री. पाटिल ने प्रत्युत्तर दिया कि, ‘‘विदेश के मुसलमानों पर अत्याचार होने के कारण आझाद मैदान में मुसलमानों ने संगठित होकर हिंसाचार किया, इसका अर्थ यदि अत्याचार वहां हुए, तो भारत के मुस्लिम बांधव संगठित हुए थे ना !’’
२. चर्चासत्र में निवृत्त पुलिस सहआयुक्त श्री. पवार ने कहां कि, ‘पुलिस विभाग के मुठ्ठीभर अधिकारी अच्छे हैं। इस पर श्री. दीप्तेश पाटिल ने बताया कि, ‘‘तो क्या वहीं मुठ्ठीभर अच्छे अधिकारी ही नालासोपारा में आए थे ?’’
संपूर्ण व्यवस्था हिन्दूविरोधी ! – श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था
संपूर्ण व्यवस्था हिन्दूविरोधी बनाई गई है ! इसका अनुभव हम ने आजतक लिया है। अतः हमें यह प्रतीत होता है कि, यह मालेगांव की पुनरावृत्ती है !’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात