पूरे देश में इस समय तीन तलाक से पीडित महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। परंतु देश में कई जगहों से तीन बार तलाक बोलकर रिश्तों को तार-तार करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं ! मामला उत्तर प्रदेश के बरेली का है। पीडिता का आरोप है कि उसकेद्वारा चाय में शक्कर ज्यादा पड जाने से नाराज शौहर ने न केवल उसे भद्दी गालियां ही नही दीं, बल्कि तीन बार तलाक बोलकर कमरे में भी बंद कर दिया। जब महिला ने अपने भाई को ससुराल से ले जाने के लिए बुलाया तो शौहर ने पुलिस बुलवाकर उस पर चोरी का आरोप लगवा दिया। अब महिला ने मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी से मदद की गुहार लगाई है !
फरहत नकवी ने मीडिया को बताया, ‘‘पीडिता का नाम नूरी अफ्शा है। वह बरेली के रोहली टोला में रहती है। नूरी का निकाह मोहल्ले के ही रिजवान के साथ १२ अप्रैल २०१७ को हुआ था। निकाह के बाद छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों में अनबन होने लगी। पीडिता का आरोप है कि ससुरालवाले उससे दहेज की मांग कर रहे थे। जब मायकेवालों ने दहेज देने से इंकार कर दिया तो उन्होंने पीडिता के साथ मारपीट भी शुरू कर दी। कई बार उसे मारपीट कर घर से निकाला भी गया। परंतु मायकेवाले हर बार सुलह करवाकर उसे वापस भेज देते थे।
तीन तलाक पीडिता नूरी ने मीडिया को बताया, शुक्रवार (१० अगस्त) की सुबह जब वह चाय लेकर अपने शौहर रिजवान के कमरे में गई। रिजवान ने चाय का पहला सिप लिया और उसे गालियां देनी शुरू कर दी। इसके बाद जब नूरी ने फिर से चाय बनाकर लाने की बात कही तो रिजवान ने उसे तीन बार तलाक बोल दिया ! तलाक कहकर रिजवान ने उसे कमरे में बंद किया और बाहर चला गया !
नूरी के बार-बार दरवाजा पीटने पर पड़ोस की महिला ने आकर दरवाजा खोल दिया। बाद में नूरी ने अपनी चाची को फोन करके मामले की जानकारी दी। सूचना मिलने पर भाई उससे मिलने के लिए आया। नूरी ने बताया कि जब वह घर से जाने के लिए अपना सामान पैक कर रही थी। इसी दौरान रिजवान ने १०० नंबर पर फोन करके पुलिस बुलवा ली और उसके भाई को चोर कहकर गिरफ्तार करवा दिया !
पुलिस नूरी के भाई को लेकर बारादरी थाने आ गई। जहां पर नूरी ने पुलिस को सारी सच्चाई बताई और रिजवान के खिलाफ थाने में तहरीर दे दी। परंतु पुलिस ने अभी तक रिजवान के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है। पीडिता नूरी अफ्शा ने मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फरहत नकवी से मदद की गुहार लगाई है। फरहत नकवी ने पीडिता महिला को मदद का भरोसा दिया है !
स्त्रोत : जनसत्ता