जलगांव के हिन्दूत्वनिष्ठों ने ज्ञापनद्वारा प्रशासन की ओर की मांग
ज्ञापनद्वारा की गई अन्य मांगे इस प्रकार हैं …..
१. मनृस्मृति का दहन करनेवाले फौजिया खान एवं उनके सहकारियों पर भारतीय दंड विधान धारा २९५ के अनुसार धार्मिक भावना आहत करने के संदर्भ में याचिका प्रविष्ट करें
२. भविष्य में इस प्रकार किसी भी आंदोलन में किसी भी धर्म का धर्मग्रंथ जलाने के विरोध में कडे नियम सिद्ध कर संबंधितों पर कडी कार्रवाई करें
३. अकारण प्रशासन पर तनाव बढानेवाले एवं संवेदनशील वातावरण दूषित करने का प्रयास करनेवाले फौजिया खान के साथ-साथ अन्य लोगों की भी जांच करें
जलगांव : हेतुपुर:स्सर हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक ग्रंथ ‘मनुस्मृति’ का दहन करनेवाली राष्ट्रवादी कांग्रेस की फौजिया खान एवं अन्य लोगों के विरोध में ‘धार्मिक भावनाएं आहत हुई’, इस विषय के संदर्भ में अपराध प्रविष्ट करें’, इस मांग का ज्ञापन यहां के जिलाधिकारी श्री. किशोरराजे निंबाळकर को हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनोंद्वारा ११ अगस्त को प्रस्तुत किया गया। जिलाधिकारी की ओर से श्री. वादेंकर ने इस ज्ञापन का स्वीकार किया। तत्पश्चात हिन्दूत्वनिष्ठों ने पुलिस थाने में जाकर भी अपराध प्रविष्ट करने की मांग की !
उससे पूर्व महापालिका के सामने सभी हिन्दूत्वनिष्ठों ने आंदोलन के माध्यम से निषेध व्यक्त किया। आंदोलन का आरंभ मनुस्मृति ग्रंथ के पूजन से किया गया। सर्वश्री संग्रामसिंह सूर्यवंशी, आकाश पाटिल एवं बंटी बाविस्कर ने पूजन किया। इस आंदोलन के लिए पुरोहित संगठन के श्री. नंदु शुक्ल, श्री. भूषण मुळ्ये, भागवतकार श्री. देवदत्त मोरदे, साई कथाकार श्री. भूषण जोशी, शिवसेना के श्री. मोहन तिवारी, समाजसेवक श्री. संग्रामसिंह सूर्यवंशी, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रशांत जुवेकर एवं बजरंग दल, विहिंप, श्री शिवप्रतिष्ठान, हिन्दुस्थान आदि हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता अधिक संख्या में उपस्थित थे।
ज्ञापन में यह प्रस्तुत किया है कि,
१. ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ इस राष्ट्रवादी कांग्रेस के अभियान के अंतर्गत बैठक संपन्न होने के पश्चात फौजिया खान, विधायक श्रीमती विद्या चव्हाण, भूतपूर्व विधायक श्रीमती उषा दराडे, श्रीमती सुरेखा ठाकरे, श्रीमती सोनल वसेकर, राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस की जिल्हाध्यक्षा श्रीमती कल्पना पाटिल, श्रीमती तिलोत्तमा पाटिल एवं अन्य पदाधिकारियों ने ७ अगस्त को जळगांव के आकाशवाणी चौक में विनाअनुमती किए आंदोलन में हिन्दुओं का धार्मिक ग्रंथ मनुस्मृति का दहन किया !
२. मूलतः फौजिया खान को हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथ का दहन करने के पीछे क्या कारण था ? क्या उन्होंने इस ग्रंथ का वाचन किया है ? मनुस्मृति इस धर्मग्रंथ का कुछ भी अभ्यास करने के अतिरिक्त मुस्लिम धर्मिय फौजिया खान ने हिन्दुओं के धर्मग्रंथ का दहन करना, इससे फौजिया खान का हिन्दूद्वेष ही स्पष्ट होता है ! इस बात से प्रक्षुब्ध हुए किसी हिन्दु ने यदि अन्य धर्मियों के धर्मग्रंथ का दहन किया, तो उस बात के लिए उत्तरदायी कौन होगा ?
३. फौजिया खान के ध्यान में यह बात आनी चाहिए कि, जिस प्रकार उन्हें उनके धर्मग्रंथों का आदर है, उसी प्रकार हिन्दुओं को भी अपने धर्मग्रंथों का आदर हैं। एक ओर महाराष्ट्र में आरक्षण के कारण वातावरण संवेदनशील है, उसी समय हेतुपुर:स्सर इस प्रकार का धार्मिक अनबन उत्पन्न करनेवाला आंदोलन करना, इससे यह स्पष्ट होता है कि, फौजिया खान का कानून-सुव्यवस्था का प्रश्न उत्पन्न करने का प्रयास है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात