फाल्गुन कृष्ण ४, कलियुग वर्ष ५११४
प्रयागराज – शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वतीजीको जून २०१३ में गोवामें हिंदू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन’का निमंत्रण देने हेतु हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, हिंदू जनजागृति समितिके उत्तर भारत समन्वयक श्री. विनय पानवळकर तथा दैनिक ‘सनातन प्रभात’के प्रतिनिधि श्री. नित्यानंद भिसे कुंभनगरीके उनके आश्रममें गए थे । उस समय वहां शंकराचार्यजीका प्रवचन आयोजित किया गया था । उस अवसरपर श्री. विनय पानवळकरजीको उपस्थितोंको संबोधित करनेका अवसर प्रदान किया गया । उस समय श्री. पानवलकरजीने कहा, ‘‘हिंदू राष्ट्र सनातन वैदिक धर्मपर आधारित होना चाहिए । जितनी भी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, उनपर एकमात्र उपाय केवल ‘हिंदू राष्ट्र’ ही है तथा यह ‘हिंदू राष्ट्र’ संतोंके आशीर्वादसे ही आएगा । राजसत्तापर धर्मसत्ताका अंकुश होगा, तो सब सुचारू रूपसे चलेगा ।’’ श्री.पानवळकरद्वारा प्रस्तुत विषय सुनकर उपस्थित सारे भक्त प्रभावित हुए । प्रवचन समाप्त होनेके पश्चात साधक पुनः शंकराचार्यजीसे मिले, उस समय शंकराचार्यजीने शिष्योंसे कहा,‘‘अब इन्हें अपना समझें ।’’
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात