डबलिन : पोप फ्रांसिस ने शनिवार को आयरलैंड में चर्च में बच्चों के शोषण को लेकर अपनी गहरी चिंता जताई। कुछ दिन पहले ही आयरलैंड के चर्च में वर्षों तक बच्चों के यौन शोषण की घटना की खबर आई थी। इसके बाद दुनियाभर में इसकी काफी आलोचना हुई थी और पोप का दौरा इस घटना के सामने आने के बाद काफी संवेदनशील माना जा रहा है।
आयरलैंड दौरे के दौरान पोप फ्रांसिस ने एक राज्य प्रायोजित कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। चार दशक पहले तत्कालीन पोप ने आयरलैंड का दौरा किया था। पोप फ्रांसिस के इस इवेंट में चर्च में हुए यौन शोषण के शिकार कुछ लोगों ने भी हिस्सा लिया था। इस घटना पर अफसोस जताते हुए पोप ने कहा, ‘ऐसी घटना न केवल हमारे लिए बल्कि चर्च के लिए भी बहुत शर्मनाक है।’ उन्होंने यह भी कहा कि मैं संकल्प लेता हूं कि इस तरह की शर्मनाक घटना फिर से न हो इसके लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।
१९७९ में जब पोप डॉन पॉल II ने आयरलैंड का दौरा किया था तब देश की दो तिहाई जनता उन्हें देखने के लिए घरों से बाहर निकली थी। उस समय आयरलैंड में तलाक और गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग भी वर्जित था। इसकी तुलना में पोप फ्रांसिस के स्वागत के लिए लोगों में उस तरह का उत्साह देखने के लिए नहीं मिला। चर्च में सालों तक यौन शोषण की घटनाओं के सामने आने के बाद चर्च की नैतिक संस्था के तौर पर मानने के लोगों के विश्वास में कमी आई है। पिछले ३ साल में आयरलैंड ने धार्मिक मान्यताओं को तोड़नेवाले कई कानूनों को जनमत संग्रह में मान्यता दी है। अबॉर्शन और गे मैरिज को जनमत संग्रह के जरिए ही कानूनी मान्यता मिल सकी।
आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर समलैंगिक अधिकारों के मुखर पक्षधर रहे हैं। आयरलैंड के पहले गे लीडर वराडकर ने पोप फ्रांसिस से कहा कि चर्च में बच्चों का सिलसिलेवार यौन शोषण को लेकर आयरलैंड में दुख का माहौल है। पीडितों के न्याय और मानसिक सुकून के लिए अभी भी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स