अहमदाबाद : वर्ष २००२ में हुए गोधरा कांड मामले में एसआईटी कोर्ट ने पांच में से दो लोगों को दोषी ठहराया है। इसके साथ ही अन्य तीन को बरी कर दिया। मामले में इमरान उर्फ शेरू भटुक और फारूक भाना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है वहीं, हुस्सैन सुलेमान मोहन, फारूक धांतिया और कासम भमेडी को बरी कर दिया गया है !
बता दें कि अलग-अलग एजेंसियों ने ६ लोगों को गिरफ्तार किया था, जो कि विशेष न्यायालयद्वारा ९४ आरोपियों पर वर्ष २०११ में सुनवाई के समय फरार चल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन्हें ट्रायल के लिए रखा गया। विशेष अधिवक्ता जेएम पांचाल के अनुसार, ६ में से एक कादिर पटालिया की कार्डिएक अरेस्ट की वजह से इसी वर्ष (२०१८) जनवरी महीने में मौत हो गई थी। इसके बाद पांच लोगों को ट्रायल पर रखा गया। इसमें हुस्सैन सुलेमान मोहन, कासम भमेडी, फारूक धंतिया, फारूक भाना और इमरान उर्फ शेरू भटुक शामिल हैं। ये सभी गोधरा के निवासी हैं।
अलग-अलग जगहों से हुई थी गिरफ्तारी
गौरतलब है कि मोहन को वर्ष २०१५ में मध्य प्रदेश में झाबुआ से गिरफ्तार किया गया था जबकि भमेडी को दाहोद रेलवे स्टेशन से पकडा गया, धंतिया और भाना को गोधरा स्थित उनके घरों से अरेस्ट किया गया। भटुक को महाराष्ट्र में मालेगांव से जुलाई २०१६ में गिरफ्तार किया गया था।
जानिए, क्या था पूरा मामला
दरअसल, २७ फरवरी २००२ को साबरमती एक्सप्रेस के एस-६ कोच में सवार होकर अयोध्या से लौट रहे ५० यात्री, जिसमें ज्यादातर कारसेवक थे, उन सभी की हत्या कर दी गई थी ! इसके बाद समूचा गुजरात हिंसा की लपटों में घिर गया था ! इन दंगों में तकरीबन एक हजार लोग मारे गए थे। यह पूरा मामला लोकल पुलिस स्टेशन से लेकर वर्ष 2008 में एसआईटी के हवाले कर दिया गया। हिंसा की घटना पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया बल्कि ९४ लोगों पर मुकदमा चलाया गया। इसके बाद स्पेशल एसआईटी जज ज्योत्सना याग्निक ने ३१ लोगों को दोषी ठहराते हुए ६३ लोगों को बरी कर दिया। दोषियों में से ११ लोगों को मृत्यु दंड जबकि 20 को उम्र कैद की सजा दी गई !
पीडितों के परिजनों को १० लाख मुआवजे का दिया था निर्देश
पिछले वर्ष (२०१७) में गुजरात उच्च न्यायालय ने ११ लोगों की सजा को घटाते हुए मृत्यु दंड से उम्र कैद कर दिया। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इस बात के भी निर्देश दिए कि पीडितों के परिजन को १० लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जाए।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स