सहारनपुर : रक्षाबंधन के मौके पर उत्तर प्रदेश पुलिस के एक इंस्पेक्टर को राखी बांधनेवाली मुस्लिम महिला नई मुश्किलों में घिर गई हैं ! उस महिला के खिलाफ देवबंद के उलेमाओं ने फरमान जारी कर दिया है। देवबंद का कहना है कि इस्लाम में गैर मर्द को छूना या बिना पर्दे के उसके सामने जाना नाजायज है। ऐसे में राखी बांधना एक तरीके से गैर इस्लामिक है। देवबंद के ही एक ओर मुफ्ती तारीख अहमद ने तो इंस्पेक्टर को राखी बांधनेवाली महिला को तौबा करने की हिदायत दे दी।
दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने सौहार्द और पुलिस व आम जनता के बीच संबंध को और बेहतर करने के लिए यह निर्देश दिए थे कि पुलिसकर्मी आसपास की महिलाओं से राखी बंधवाएं और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दें। इसी के तहत प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में पुलिसवालों को स्थानीय महिलाओं ने राखी बांधी थीं।
‘राखी बांधने में गैर मर्द को छूना पडता है’
रक्षाबंधन के दिन पूरे प्रदेश में पुलिसकर्मियों ने महिलाओं से राखी बंधवाई और उन्हें सुरक्षा का वचन दिया। देवबंद कोतवाल को भी एक मुस्लिम महिला ने राखी बांधी, परंतु इस मामले को लेकर विवाद खडा हो गया है। देवबंदी उलेमा ने मुस्लिम महिलाओं का राखी बांधना नाजायज बता दिया है।
देवबंदी मुफ्ती अहमद ने कहा कि इस्लाम मुस्लिम महिलाओं को राखी बांधने की इजाजत नहीं देता। इसका कारण बताते हुए उन्होंने दलील दी कि राखी बांधने के लिए महिलाओं को इस्लाम धर्म की सबसे बडी नियामत पर्दे से बाहर निकलाना पडता है और गैर मर्द को छूना पडता है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में गैर मर्द को छूना या बिना पर्दे के उसके सामने जाना नाजायज है।
इस्लाम में राखी बांधना गैर इस्लामिक
देवबंद के ही एक ओर मुफ्ती तारीख अहमद ने भी इंस्पेक्टर को राखी बांधने वाली महिला को तौबा करने की हिदायत दी है। मुफ्ती ने कहा कि महिला ने जो किया है वह गैर इस्लामिक है और अपने इस कृत्य पर महिला को तौबा करनी चाहिए।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स