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अर्बन नक्सलवाद ! जानें, कैसे आया यह शब्द और क्या है माओवादियों की रणनीति

पुणे (महाराष्ट्र) : माओवादियों से संबंधों के आरोप में मंगलवार को देशभर की अलग-अलग जगहों से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, इसके बाद ‘अर्बन नक्सल’ के बारे में जमकर चर्चा हो रही है ! बता दें कि यह (अर्बन नक्सलवाद) माओवादियों की एक तरह की रणनीति होती है, जिसमें शहरों में नेतृत्व तलाशने, भीड जुटाने, संगठन बनाने और लोगों को इकट्ठा करके उन्हें तमाम चीजें सामग्रियों के साथ-साथ प्रशिक्षण भी दिया जाता है !

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के २००४ में ‘अर्बन पर्सपेक्टिव’ नाम से आए एक दस्तावेज आया, जिसमें इस रणनीति की चर्चा की गई। इस रणनीति के तहत शहरी क्षेत्रों में नेतृत्व तलाशने की कोशिश की जाती है। इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि माओवादी शहरों में अपना नेतृत्व तलाश रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी के चलते माओवादी नेता अकसर पढे-लिखे होते हैं !

यह है ताजा मामला

बता दें कि मंगलवार को पुणे पुलिस ने जनवरी में भीमा-कोरगांव दंगों के मामले में वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वेरनोन गोन्जाल्विस और अरुण परेरा को गिरफ्तार किया था। जून में भी इसी तरह पांच लोगों को भीमा-कोरेगांव से जुडे मामले में गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, इन लोगों के पास से एक लेटर बरामद हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश की बात सामने आई !

२००४ के डॉक्युमेंट के अनुसार में सामने आई रणनीति

सुरक्षा एजेंसियों से जुडे सूत्रों ने बताया कि सीपीआई (माओवादी) अपने संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ तकनीकी सहयोग, नेतृत्व और अन्य कार्यों के लिए शहरों पर ध्यान दे रही है ! २००४ में आए डॉक्युमेंट्स के अनुसार, शहरों में स्थित पार्टी का कार्य है कि वह शहरी लोगों को इकट्ठा करे और नेतृत्व को एक दिशा दें। यहां यह भी उल्लेख किया गया था कि इसमें मिडल क्लास कर्मचारियों, छात्रों, वर्किंग क्लास, बुद्धिजीवियों, महिलाओं, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को जोडा जाए। इसी में संगठन को मजबूत करने के लिए इससे जुडे संगठन तैयार करने की जरूरत को भी महत्वपूर्ण बताया गया !

डॉक्युमेंट के अनुसार, यह भी जरूरी है कि संगठन मजबूत करने के साथ-साथ इसे बडा भी बनाया जाए। इसमें यह भी बताया गया कि सभी सेक्युलर ताकतों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को ‘हिंदू फासीवादी ताकतों’ के खिलाफ खडा किया जाए। साथ ही साथ जरूरी सैन्य कार्रवाई को भी मुख्य बिंदु के रूप में बताया गया है। इसी में सैन्य रणनीति का भी उल्लेख किया गया है, जिसके तहत गांवों में पहले छोटे मिलिट्री बेस बनाने और धीरे-धीरे शहर पर कब्जा करने जैसी साजिशों के बारे में बताया गया है !

स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

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