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भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शोधार्थियों के एक दल ने डायबिटीज को ठीक करने का आध्यात्मिक तरीका खोज निकाला है। इसकी खोज श्रीमद्भगवत गीता से की गई है। शोधार्थियों का कहना है कि, भगवद्गीता में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच जो संवाद हुआ है, उसका उपयोग विशेष रूप से पुरानी बीमारियां जैसे डायबिटीज को दूर करने के लिए किया जा सकता है। वे भगवद्गीता के उन श्लोकों के बारे में बता रहे हैं, जो जिंदगी की विभिन्न स्थितियों का वर्णन करता है। टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शोधार्थियों ने कहा कि,”गीता नकारात्मक अवस्था को चिन्हित करता है और भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा इस अवस्था से निपटने के लिए सकारात्मक सलाह दिए गए हैं। अर्जुन उन्हें लागू करते हैं। डायबिटीज भी जीवन शैली की वजह से होने वाली बीमारी है, जो पूरी तरह खाना और व्यायाम जैसी बुनियादी आदतों में बदलाव की वजह से हाेता है। भगवद्गीता में बताई गई बातों का उपयोग कर इससे निपटा जा सकता है।”
इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म में प्रकाशित रिसर्च को डॉक्टरों व शोधकर्ताओं ने देश के भीतर और बाहर कई अस्पतालों और शोध संस्थानों में अध्ययन कर तैयार किया था। इसमें विदेशी विशेषज्ञ ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल और मिटफोर्ड अस्पताल, ढाका, बांग्लादेश और आगा खान विश्वविद्यालय अस्पताल, कराची, पाकिस्तान से थे।
शोधकर्ताओं ने कहा कि “भगवद्गीता एक धार्मिक या दार्शनिक पाठ से कहीं अधिक है। इसके ७०० से अधिक छंद जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालते हैं। ये व्यक्ति को नाकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाते हैं। ये श्लोक व्यक्ति के जीवन में पूरी तरह से बदलाव ला सकते हैं । मधुमेह के शिकार व्यक्ति को अपनी कई चीजों में बदलाव करना पड़ता है, जो पहले उन्हें काफी पसंद होता है। गीता के अध्ययन से उन्हें संयम का प्रयोग करने, जीवनशैली बदलने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए प्रेरणा मिलती। इसे पढकर और उसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में लागू कर मरीज डायबिटीज जैसी बीमारियों से निदान पा सकते हैं। साथ ही कई बीमारियों और परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।”
स्त्रोत : जनसत्ता