विश्व के कर्इ देशों में हिंदू देवी-देवताओं की पूजा होती है। कुछ साक्ष्यों को आधार मानते हुए विद्वान कहते हैं कि, हिंदू देवता श्रीकृष्ण की पूजा यूनान में भी होती थी। यूनानी देवता हेराक्लीज और हिंदू देवता श्रीकृष्ण को एक ही माना जाता है।
मेगस्थनीज ने अपनी किताब इंडिका में लिखा है – चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में भारतीय समुदाय अपनी भूमि पर हेराक्लीज नामक देवता की आराधना करते थे। इस भूमि पर दो शहर थे, मेथोरा और क्लीसोबोरा, यहां जबोरेस नाम की नदी भी बहती थी।
मेथोरा का अर्थ मथुरा, क्लीसोबोरा अर्थात कृष्णपुरा और जबोरेस नदी का अर्थ यमुना नदी से लिया जाता है।
सिकंदर के समकालीन ग्रीक इतिहासकार बताते हैं कि, पोरस के साथ युद्ध लड़ते समय भी हेराक्लीज यानी कृष्ण की मूर्ति साथ रखते थे। ‘इंडिका’ के लेखक मेगस्थनीज ने लिखा है कि सौरसेनाई (शूरसेन) राज्य की राजधानी मेथोरा (मथुरा) और क्लेईसोबारा (कृष्णपुरा) के निवासी हेराक्लीज देवता की आराधना करते हैं।
साहित्यिक साक्ष्यों के अलावा कुछ पुरातात्विक प्रमाण भी इस बात का समर्थन करते हैं। कुछ साल पहले यूनान के एक पुरातत्वस्थल से दो सौ ईसा पूर्व ग्रीक सभ्यता के सिक्के मिले जिन पर एक देवता को कृष्ण की भांति हाथ में सुदर्शन चक्र लिए हुए और उनके भाई बलराम को गदा व हल के साथ उत्कीर्ण किया गया है।
यूनानी पौराणिक कथाओं और भारतीय पौराणिक कथाओं में भी काफी कुछ समानताएं मिलती हैं।
श्रीकृष्ण और हेराक्लीज के जन्म की कहानी भी काफी कुछ एक ही तरह की है। जब हेराक्लीज का जन्म हुआ तो उनकी सौतेली मां हेरा को यह अच्छा नहीं लगा। हेरा चाहती थी कि हेराक्लीज जिंदा ना रहे और उसने उसे मारने के लिए दो सांप भेजे। लेकिन वह सांपों से खेलने लगे। वहीं, श्रीकृष्ण को मारने के लिए मामा कंस ने कई राक्षसों को भेजा लेकिन पूतना नाम की राक्षसी खुद ही अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठी।
हेराक्लीज ने अपनी सौतेली मां से लड़ाई की तो श्रीकृष्ण ने मामा कंस से।
जैसे श्रीकृष्ण ने अपने छोटी अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठाया था, वैसे हेराक्लीज ने अपने कंधों पर पूरा ब्रह्मांड उठा रखा है।
हेराक्लीज भी एक महान योद्धा था और उसने भी कई साहसिक काम किए। श्रीकृष्ण ने भी राक्षसों से लड़ाई से लेकर महाभारत के युद्ध तक अपनी भूमिका निभाई।
स्त्रोत : अाज तक