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सनातन संस्था पर थोंपा गया बंदी का षडयंत्र तहस नहस कर देंगे ! – श्री. लोकेंद्रसिंहजी कालवी, संस्थापक, करणी सेना

मुंबई : ६ सितंबर को ‘श्री राजपुत करणी सेना मुंबई’ की ओर से घाटकोपर में आयोजित किए गए वर्ष २०१८ के ‘पद्मिनी गौरव सम्मान समारोह’ के लिए करणी सेना के संस्थापक श्री. लोकेंद्रसिंहजी कालवी उपस्थित थे। उस समय, आधुनिक विचारसरणी के एवं हिन्दुद्वेषी लोगोंद्वारा सनातन संस्था पर बंदी की एवं परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी को बंदी बनाए जाने की मांग की जा रही है, इस संदर्भ में ‘दैनिक सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधी ने श्री. कालवीजी को उनकी भूमिका पूछने के पश्चात उन्होंने उत्स्फूर्तता से कहा कि, ‘सनातन संस्था एक अत्यंत अच्छी संस्था है। वह अच्छे उद्देश्य से कार्यरत है। जिस संस्था के साधक सामाजिक एवं धार्मिक मार्ग से एवं सहिष्णुता से कार्य करते हैं, ऐसी संस्था पर बंदी की मांग करना, यह पागलपन है ! जिस उद्देश्य से यह संस्था कार्यरत है, उस मूलभुत उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। सनातन संस्था पर बंदी की मांग करना, यह आपत्तिजनक स्थिति है !

यदि संस्था अपनी भूमिका प्रस्तुत कर रही है, तो उस समय उसकी ओर हेतुपुर:स्सर अनदेखी क्यों की जा रही है ? यह षडयंत्र देश के लिए घातक है। सनातन संस्था पर थोंपे जानेवाले इस बंदी के षडयंत्र के विरोध में करणी सेना उत्तर देने के लिए सिद्ध है !’ इस कार्यक्रम के पश्चात उन्होंने पत्रकारों के साथ विचारविमर्श करते हुए ऐसा कहा।

साथ ही उस समय उन्होंने ऐसा भी कहा कि, ‘२३ सितम्बर को राजस्थान में संपन्न होनेवाले सबसे बडे क्षत्रिय सम्मेलन में ‘पद्मावत’ चित्रपट एवं आरक्षण पर समीक्षण किया जाएगा। उस समय करणी सेना के श्री. जगदीशसिंह भानुजा एवं अन्य पदादिकारी उपस्थित थे।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी में अलौकिक शक्ति है, जो राष्ट्रहित के लिए कार्यरत है !

श्री. लोकेंद्रसिंहजी कालवी द्वारा व्यक्त किए गए प्रशंसोद्गार !

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति प्रशंसोद्गार व्यक्त करते हुए श्री. कालवी ने कहा कि, ‘‘करणी सेना का संस्थापक इस नाते से मैं यह कहना चाहता हूं कि, गुरुवर्य में (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी में) एक महान अलौकिक शक्ति है, जो राष्ट्रहित के लिए कुछ करना चाहती है। यदि उन पर किसी भी प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप किया जाएगा, तो करणी सेना उत्तर देने के लिए सिद्ध है !’’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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