कोच्चि में केरल उच्च न्यायालय के बाहर ५ नन शनिवार से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी हैं। इनकी मांग है कि रेप के आरोपी जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
इस केस को लेकर अलग-अलग तरह की बातें की जा रही हैं। नन ने २९ जून को बिशप फ्रैंको मुलक्कल के विरोध में पुलिस में शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने बिशप से केवल एक बार पूछताछ की है, जबकि पीडिता से कई बार पूछताछ की जा चुकी है। कहा जा रहा है कि पीडिता के बयान में कमजोर कडियां तलाशने की कोशिश की जा रही है।
बिशप फ्रैंको मुलक्कल अभी केवल आरोपी हैं, वो दोषी नहीं हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच को लेकर उन्हें खुद अपने पद से हट जाना चाहिए था। केरल से विरोध प्रदर्शन को लेकर जिस तरह की तस्वीरें सामने आ रही है वो हैरान करने वाली है। हर कोई इस घटना से शर्मिंदा है। इस घटना ने चर्च और नेताओं के बीच अपवित्र गठबंधन को भी उजागर कर दिया है। इसलिए नेता कह रहे हैं कि ये बिशप के खिलाफ षड्यंत्र है।
नन ने मीडिया के सामने शिकायत की कि पद और पैसों की ताकत के चलते बिशप को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। पीडिता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बिशप ने २०१४ में उन्हें कुछ आधिकारिक मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया था। वहां जाने के बाद उससे बलात्कार किया गया। इतना ही नहीं अगले दो साल तक उन्होंने कथित रूप से १३ बार रेप किया। हालांकि बिशप ने सारे आरोपों को गलत बताया है। बिशप का कहना है कि ४३ साल की नन का किसी विवाहित व्यक्ति के साथ अफेयर था। ऐसे में जब उन्होंने नन के खिलाफ जांच के आदेश दिए तो उसने बिशप पर रेप के आरोप लगा दिए।
बिशप के समर्थक और केरल के कोट्टायम से निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज ने शनिवार को रेप पीडिता नन के खिलाफ एक विवादित टिप्पणी की थी। पीसी जॉर्ज ने कहा, ”जब उस नन ने अपनी वर्जिनिटी खो दी तो उन्हें ये धार्मिक काम नहीं करना चाहिए था। जब १२ बार उसके साथ रेप किया गया तो वो चुप क्यों थी। १३वीं बार रेप के बाद ही वो क्यों शिकायत ले कर आई। उसने पहली बार ही शिकायत क्यों नहीं की?” साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर बिशप के खिलाफ आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
बिशप के कुछ समर्थकों का कहना है कि ये ‘सहमति’ से किया गया सेक्स था। ऐसे में ये रेप नहीं है। इसलिए उन पर बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता। हालांकि आलोचकों का कहना है कि बिशप के खिलाफ केस को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
भले ही ये सेक्स सहमति से किया गया हो। परंतु एक पादरी भला ऐसे कैसे कर सकता है जिसने ब्रह्मचर्य की शपथ ली है ? ऐसा क्यों है कि चर्च और सीपीएम सरकार कथित रूप से इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रही है। जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अभी तक इसका विरोध नहीं किया है। भाजपा ने आरोप लगाया कि सरकार के हस्तक्षेप और सीपीएम के नियंत्रण के कारण पुलिस बलात्कार के मामले में ठीक से जांच नहीं कर पा रही है।
केरल में ईसाईओं की जनसंख्या १९ प्रतिशत है। पिछले साल, सायरो मालाबार चर्च में वित्तीय घोटाले की खबर आई थी। टैक्स को लेकर कार्डिनल जॉर्ज एलेंचेरी और दो पादरियों से पूछताछ हुई थी। इन पर एक रियल एस्टेट एजेंट के साथ प्लॉट बेचने का आरोप लगाया गया था। इससे एर्नाकुलम आर्किडोसिस को लगभग ७० करोड रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद मामले को देखने के लिए कार्डिनल ने नेताओं के साथ मिलकर एक कमिटी बना दी।
इससे पहले मलंकारा चर्च के कई पादरियों पर महिला से बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। चर्च के पादरी को नियमित रूप से बडी संख्या में पुरुषों और महिलाओं के साथ बातचीत करने की जरूर होती है। परंतु यौन दुर्व्यवहार की घटनाएं बहुत कम होती है। फिर भी कुछ लोगों का मानना है कि जो लोग पादरी बनने का विकल्प चुनते हैं उन्हें खुद इन चीजों से दूर रहना चाहिए। खासकर इंटरनेट के इस युग में आसानी से अश्लील चीजें उपलब्ध है।
पीडित नन को केरल के लोगों से जबरदस्त समर्थन मिला है। कई संगठन भी इनका समर्थन कर रहे हैं, जिसमें संयुक्त ईसाई परिषद, केरल कैथोलिक रेनेवल आंदोलन, केरल लैटिन कैथोलिक एसोसिएशन और सिरो मलाबार के पादरी भी शामिल है। परंतु कई राजनीतिक दलों ने इस पर चुप्पी साध रखी है।
वोट बैंक की राजनीति से ज्यादा चर्च की ताकत ने सरकार की सोच को प्रभावित कर दिया होगा। कई ईसाई संगठनों ने बिशप के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पीडिता ने भारत के अपोस्टोलिक नुनेशिया गिय्मबटिस्टा डिक्वाट्रो को पोप के नाम चिट्ठी लिखी है। पोप के राजदूत नुनेशिया गिय्मबटिस्टा को लिखी इस चिट्ठी में पीडित नन ने अपनी परेशानियों और तकलीफों का उल्लेख करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
केरल जैसे राज्य जहां काफी संख्या में साक्षर लोग है यहां के लोग आंख बंद कर चर्च की बात नहीं सुनते हैं। अगर सीपीएम ने बिशप के खिलाफ एक्शन लिया तो वोटर उनसे नाराज हो सकते हैं।
स्त्रोत : न्युज १८