अहमदाबाद : अपनी तीसरी पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स के आरोपी एक मौलवी को गुजरात उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत देने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय के जस्टिस ए वाई कोगजे ने सोमवार को मांडवी के रहनेवाले ४० वर्षीय मौलवी के विरोध में यह फैसला दिया। मौलवी ने पिछले साल अपने पडोस में रहनेवाली २५ वर्षीय महिला से निकाह किया था।
जस्टिस कोगजे ने कहा, ‘न्यायालय इस बात से सहमत है कि प्रथम दृष्टया (पत्नीद्वारा लगाए गए) आरोप सही हैं, इसलिए आवेदक को गिरफ्तारी पूर्व जमानत नहीं दी जा सकती है।’ बता दें कि मौलवी की दो शादियों के सफल न होने की वजह से पीडिता के माता-पिता भी इस तीसरी शादी के खिलाफ थे।
निकाह के कुछ महीने बाद ही महिला ने अपने माता-पिता से शिकायत की कि उसका पति अप्राकृतिक सेक्स के लिए दबाव डालता है और उसका व्यवहार बहुत खराब है। महिला ने अप्रैल महीने में मांडवी पुलिस स्टेशन पहुंची और अपने पति पर निर्दयता, अप्राकृतिक सेक्स, मारपीट और दहेज मांगने का आरोप लगाया। उसने कहा कि उसके पति की तीन पत्नियां हैं और वह उन्हें अलग-अलग स्थानों पर रखता है।
मौलवी के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। इसके बाद मौलवी जमानत के लिए बारदोली की अदालत पहुंचा लेकिन वहां उसे कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद आरोपी मौलवी ने जुलाई महीने में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। मौलवी के वकील ने कहा यह केवल आईपीसी की धारा ४९८ ए का मामला है लेकिन मामले को गंभीर रंग देने के लिए महिला ने अप्राकृतिक संबंध का आरोप लगाया है।
मौलवी के वकील ने कहा कि यदि इस तरह के आधारहीन आरोपों पर अदालतें विचार करेंगी तो कोई भी पति सुरक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला के पिता ने तलाक पर जोर दिया था और सेक्शन ३७७ लगाना केवल दबाव का तरीका है, और कहा कि इस आरोप की पुष्टि के लिए महिला के पास कोई मेडिकल साक्ष्य मौजूद नहीं है।
स्रोत : नवभारत टाईम्स