महाराष्ट्र के स्थल शैगांव में झूठी पत्तलों में से एक संत को कुछ लोगों ने अन्न समेटकर खाते हुए देखा तो उन्हें बेहद आश्चर्य हुआ मगर अन्न के उस कण से उन्हें स्वयं के शरीर की क्षुधा शांत कर दी। जी हां, श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा करने वाले, संत और बिना किसी भक्त को जाने पहचाने उसके झोले मे रखी चिलम और माचिस मांगने वाले संत और कोई नहीं श्री गजानन महाराज थे। श्री गजानन महाराज महाराष्ट्र के प्रमुख संतों में से एक थे। वर्ष १९०८ में श्री गजानन महाराज का महानिर्वाण हुआ और इसी के बाद इनके सिद्ध स्थल के तौर पर शेगांव को जाना जाता है।
यहां श्री गजानन महाराज का भव्य समाधि मंदिर निर्मित किया गया है। यहां की दर्शन व्यवस्था भी बेहद अद्भु है और भक्तों के निवास के लिए यहां विशेष व्यवस्थाऐं की गई हैं। जिसे आनंद सागर के नाम से जाना जाता है। इस आनंद सागर में ही श्रद्धालुओं को श्री की भाकरी का प्रसाद मिलता है। श्री गजानन महाराज पंढरपूर के संत थे। और उन्होंने अपना स्थल शेगांव को बनाया। गुरूवार इनकी आराधना के लिए विशेष दिन माना जाता है। इनमें श्रद्धालु अपना गुरू भी मानते हैं। श्री गजानन महाराज के समाधी मंदिर में उपर की ओर श्री राम मंदिर है। यहां मां जानकी भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं।
यहां आने वाले इस राम मंदिर में दर्शन जरूर करते हैं। इसके बाद नीचे जाने पर श्री गजानन महाराज का गादी स्थल है। जिसे समाधि मंदिर के मुख्य भाग के तौर पर जाना जाता है। यहां उत्तर और पश्चिम दिशा में भव्य प्रवेश द्वार है। और यहां से श्री गजानन महाराज का समाधि मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए उपलब्ध होता है। इस मंदिर में श्री गजानन महाराज का गादी स्थल है। यहां श्री गजानन महाराज की पादुका प्रतिष्ठापित है इसके पीछे सभा मंडप है जहां श्री गजानन विजय ग्रंथ का पारायण किया जाता है।
मंदिर में श्री गजानन महाराज का चित्र प्रतिष्ठापित है। इसके पीछे बने सभा मंडल में श्री गजानन महाराज की मूर्ति प्रतिष्ठापित है। यहां बैठक श्रद्धालु श्री गजानन विजयग्रंथ का पारायण और ध्यान करते हैं। मंदिर में श्री गजानन महाराज का प्रसादझुणका – बाखर भी मिलता है। श्री गजानन महाराज के चरणों में मस्तक टेककर उन्हें नमन करने भर से सभी मनोकामनाऐं पूरी हो जाती हैं।
स्त्रोत : न्युज ट्रक