रझा अकादमीद्वारा चीनी मुस्लिमों के लिये मुंबई में चीनी सरकार के विरोध में निदर्शने !
चीन अंतर्गत सुरक्षा हेतु ऐसा कदम उठा रहा है ! क्या, भारत में भी ऐसा कदम उठाया जा सकता है ? – संपादक, हिन्दुजागृति
चीन में मुसलमानों के घर के बाद क्यूआर कोड लगाकर उनपर नजर रखी जा रही है देश में क्यूआर कोड सिस्टम के जरिए मुसलमानों पर नजर रखने का खुलासा ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) नाम के संगठन ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार यहां उइगर मुसलमानों के घर में घुसने से पहले अधिकारी घर के बाहर लगे क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करते हैं। स्मार्ट डोर प्लेट्स को अपने मोबाइल के जरिए स्कैन कर अधिकारी उइगर मुसलमानों की निजी जानकारियां और उनके रहन-सहन के बारे में पूरी सूचनाएं हासिल कर रहे हैं !
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के निदेशक सोफी रिचर्डसन ने कहा है कि चीन की सरकार बड़े पैमाने पर उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। आपको बता दें कि शिनझियांग प्रांत में दशकों से इन मुसलमानों के खिलाफ नई-नई पाबंदियां, उनके धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक और उन्हें मनमाने तरीके से हिरासत में लेने की खबरें आती रहती हैं। शिनझियांग मुस्लिम बहुल प्रांत है !
मुसलमानों पर क्यूआर कोड के जरिए नजर रखने की बात उजागर होने के बाद चीनी सरकार ने इसपर सफाई भी दी है ! उनका कहना है कि इस कोड के जरिए जनगणना और मुसलमानों को मदद पहुंचाने में मदद मिलती है। एक उइगर मुसलमान ने ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) को बतलाया कि साल २०१७ से मुसलमानों के घर के बाहर क्यूआर कोड लगाने का काम चल रहा है। हर कुछ दिन पर यहां अधिकारी आते हैं और क्यूआर कोड को स्कैन करते हैं। इतना ही नहीं वो घर के अंदर घुसकर पूछताछ करते हैं कि यहां कितने लोग रहते हैं ? अगर घर में कोई मेहमान मौजूद हों तो वो उनसे भी पूछताछ करते हैं कि वो यहां किसलिए आए हैं ?
वैसे मुसलमान जो पहले शिनझियांग प्रांत में रहते थे परंतु अब उन्होंने अपना घर छोड दिया है उनका कहना है कि जब कभी उइगर मुसलमान पासपोर्ट के लिए अप्लाई करते हैं तो चीनी अधिकारी बायोमेट्रिक डाटा भी जुटाते हैं। इसके अलावा उनसे डीएनए सैंपल्स और उनकी आवाज के नमूने भी लिये जाते हैं !
आपको बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स के मानवाधिकार विभाग ने अगस्त के महीने में कहा था कि चीन में अलग-अलग कैंप चलाए जा रहे हैं। इन कैंपों में उइगर मुसलमानों को जबरदस्ती यहां की राजनीतिक शिक्षा दी जाती है और उनका ब्रेन वॉश किया जाता है। हालांकि चीनी सरकार इन बातों से इनकार कर चुकी है। सरकार का कहना है कि इस तरह के कैंपों में मुसलमानों के लिए ट्रेनिंग सेंटर चलाए जाते हैं ताकि उन्हें रोजगार मिल सके !
स्रोत : जनसत्ता