शिवसेना ने तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए केंद्र के अध्यादेश लाने के फैसले का गुरूवार को स्वागत करते हुए सरकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यही मार्ग अपनाने को कहा ! उद्धव ठाकरे की अगुवाईवाली पार्टी ने कहा कि सरकार को देश के हिन्दुओं की भावनाओं का ध्यान देखते हुए उनसे किए गए कम से कम एक वायदे को पूरा करने के लिए कदम उठाने चाहिए !
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एक बार में तीन तलाक देने की प्रथा को प्रतिबंधित करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि अध्यादेश लाने की ‘अपरिहार्य जरुरत’ थी क्योंकि उच्चतम न्यायालय के ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को अवैध ठहराने के बावजूद यह जारी थी।
शिवसेना ने अपने मुख पत्र ‘सामना’ में कहा, ‘सरकार ने एक बार में तीन तलाक देने को अपराध बनाकर मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आजादी की सुबह सुनिश्चित की है। अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शंखनाद कर सत्ताधीशों को देखना चाहिए कि देश के हिन्दुओं की जनभावना का भी सूर्योदय हो !’
केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी ने कहा, ‘राम मंदिर पर अध्यादेश लाएं और हिन्दुओं से किया गया कम से कम एक वचन पूर्ण करें।’ इसने रेखांकित किया कि पहले गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों के कारण समान नागरिक कानून, जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद ३७० को हटाने और राम मंदिर निर्माण जैसे वायदे पूरे नहीं किए जा सके थे !
पार्टी ने कहा, ‘परंतु अब केंद्र और उत्तर प्रदेश में आपकी पूर्ण बहुमत की सरकारें हैं, फिर भी प्रभु श्रीराम का वनवास क्यों समाप्त नहीं हो रहा ?’’ राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का मसला न्यायालय में लंबित होने की बात का ध्यान दिलाते हुए शिवसेना ने कहा कि न्यायालय जब निर्णय देगी तब देगी परंतु सरकार को हिन्दुओं की भावनाओं से जुड़े मामले का हल निकाला चाहिए।
पार्टी ने एक साथ तीन तलाक देने पर लाए गए अध्यादेश का स्वागत किया परंतु आश्चर्य जताया कि उन मुसलमानों में इस कदम को कितना स्वीकार किया जाएगा जिनकी आंखों पर धर्म की पट्टी पडी हुई है और वे कट्टर हैं !
सम्पादकीय में दावा किया गय, ‘धार्मिक रूप से असहाय मुस्लिम विवाहिताओं को इस अध्यादेश से लाभ मिलेगा और एक खराब परंपरा से मुक्ति मिल सकेगी’ किसी भी पार्टी और सरकार का नाम लिए बिना पार्टी ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से भारत में इस मध्ययुग की कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को मुक्त कराने की कोई ईमानदार कोशिश नहीं की गई।
स्त्रोत : न्यूज 18