मुंबई : मुंबई उच्च न्यायालय ने गणपति विसर्जन और आगामी नवरात्रि उत्सव के दौरान डीजे और डॉल्बी साउंड जैसे सिस्टम्स के उपयोग पर महाराष्ट्र सरकारद्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया ! गणेश उत्सव रविवार को राज्यभर में विसर्जन जुलूस के साथ समाप्त होगा।
जस्टिस शांतनु केमकर और न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल की खंडपीठ ने प्रफेशनल ऑडियो ऐंड लाइटिंग असोसिएशन (पीएएलए) की अंतरिम राहतवाली याचिका को खारिज कर दिया। पीएएलए ने साउंड एम्प्लीफाइंग सिस्टम्स पर प्रतिबंध को चुनौती दी है !
उच्च न्यायालय ने कहा कि असोसिएशन यह साबित करने में नाकाम रही कि ऐसे ऑडियो सिस्टम्स का उपयोग मंजूर ध्वनि सीमा का उल्लंघन किए बिना किया जा सकता है। पीठ ने पिछली सुनवाई में राज्य सरकारद्वारा पेश की गई दलीलों पर विचार किया जिसमें महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकणी ने कहा था कि डीजे और डॉल्बी ऑडियो सिस्टम्स ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं ! कुम्भकणी ने कहा कि जब डीजे या डॉल्बी सिस्टम बजना शुरू होता है तो ध्वनि का स्तर १०० डेसीबल के पार चला जाता है जो कि ध्वनि प्रदूषण नियम, २००० के तहत मंजूरी सीमा से कहीं अधिक है। इन नियमों के तहत ध्वनि प्रदूषण का स्तर जहां दिन में ५० और ७५ डेसिबल रहता है वहीं रात में यह स्तर ४० और ७० डेसिबल हो जाता है। न्यायालय ने कहा कि ये नियम केंद्र सरकार ने देश में प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए हैं, इसलिए सरकार डीजे आदि पर रोक लगाती है तो वह सही है !
न्यायालय ने कहा कि ‘हम याचिकाकर्ता की इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकते कि शहर में ध्वनि का स्तर पहले ही मंजूर स्तर से ज्यादा है और डीजे सिस्टम्स से थोड़ा ही शोर बढ़ेगा इसलिए इसे अनुमति दी जानी चाहिए’ ! जब किसी चीज के लिए कानून है और नियम बना दिए गए हैं तो उनका कठोरता से पालन होना चाहिए। अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार से याचिका का विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए कहा।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स