VHP का यशस्वी प्रयत्न : मिशनरीज स्कूलों में अब प्राचार्य और सरस्वती

मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६्

vhpरायपुर (छत्तीसगढ) – ​विश्व हिंदू परिषद के दबाव में आखिरकार कैथलिक मिशनरीज को झुकना ही पड़ा। बस्तर इलाके के कैथलिक मिशनरीज वीएचपी के दबाव में अपने स्कूलों के प्रिंसिपल को फादर के बदले अब प्राचार्य और उपप्राचार्य कहेंगे। वीएचपी ने कहा था कि मिशनरीज स्कूलों में जिन्हें फादर कहा जाता है उन्हें प्रायार्य, उपप्राचार्य या सर कहा जाए।

अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक वीएचपी के दवाब में मिशनरीज, स्कूलों में सरस्वती की तस्वीर लगाने के लिए भी राजी हो गए हैं। इसके साथ ही ये वीएचपी द्वारा सुझाए उन महापुरुषों की भी तस्वीर लगाएंगे जिनका राष्ट्र हित में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान रहा है। बस्तर के जगदलपुर में एक बयान में के जरिए बताया गया है कि मिशनरीज और वीएचपी के बीच इन मुद्दों पर सहमति बन गई है। रविवार को इन मुद्दों पर दोनों समूहों के बीच बैठक हुई थी।

इसी बैठक में मिशनरीज को वीएचपी के आगे झुकना पड़ा। बस्तर जिले के वीएचपी अध्यक्ष सुरेश यादव और बस्तर कैथलिक कम्युनिटी के प्रवक्ता अब्राहम कन्नामपला ने इस समझौते पर संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं। आदिवासी बहुल बस्तर जिले में कैथलिक मिशनरिज के 22 स्कूल हैं। एक खास इलाके में केरल से ज्यादा यहां मिशनरीज का विकास हुआ है। दोनों के संयुक्त बयान के मुताबिक, ‘नोटिस बोर्ड और बस्तर के सभी कैथलिक एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन्स को सूचित कर दिया गया है कि फादर को प्राचार्य, उपप्राचार्य या सर से संबोधित किया जाए।

इस बयान के साथ यह भी जोड़ा गया है कि कैथलिक कम्युनिटी की वजह से यदि कोई समुदाय, मजहब और सोसायटी को दुख पहुंचा है तो हमें खेद है। वीएचपी ने बस्तर इलाके में घर वापसी प्रोग्राम के बहाने कई मुद्दों को उठाते हुए लंबे समय से मिशनरीज को निशाने पर रखा है। इसके तहत जिन लोगों ने ईसाई धर्म को गले लगाया उन्हें वीएचपी फिर से हिन्दू बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। वीएचपी ने इस योजना के तहत कई हाशिए के गांवों में जाकर उन लोगों को हिन्दू बना रहा है, जिन्होंने हाल ही में ईसाई कबूल किया था।

जगदलपुर के बिशप के उस बयान पर काफी विवाद हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र में मिशनरीज स्कूल को चर्च बनाना चाहिए। इस बयान के बाद वीएचपी ने बस्तर जिले के कमिश्नर को पत्र भेजा था। पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश के राज्यपाल को भी भेजी गई थी। इस चिट्ठी में वीएचपी ने लिखा था कि बिशप का बयान सांप्रदायकिता को बढ़ाने वाला और संकुचित विचार को दर्शाता है।

पत्र में यह आरोप भी लगाया गया था कि यहा मिशनरीज हिन्दू सोसायटी पर शिक्षा के बहाने अलोकतांत्रिक दबाव बना रहे हैं। वीएचपी मांग करती है कि फादर को प्राचार्य और गुरुजी में बदला जाए और इनके स्कूलों में मां सरस्वती की मूर्ति लगाई जाए। बिशप के बयान पर पैदा हुए विवाद को देखते हुए मिशनरिज ने सफाई दी थी उनके निर्देशों को अपनाने का हमारा कोई इरादा नहीं है।

सुरेश यादव ने कहा, ‘हम अपने बयान पर आज भी कायम हैं। हिन्दू स्टूडेंट्स की भावना के मद्देनजर फादर को प्राचार्य करने करने की हमारी मांग लंबे समय से थी। हम लोगों ने मिशनरीज से पूछा था कि फादर का मतलब क्या होता है? फादर मतलब पिता होता है। हिन्दुओं में पिता एक ही होता है। ऐसे में हम टीचर को फादर कैसे कह सकते हैं? मिशनरीज ने जवाब में कहा था कि बाइबल में इसका मतलब गॉड फादर से हैं। मैंने कहा कि बाइबल को धार्मिक ग्रंथ है। इसे स्कूलों में क्यों लागू करना चाहते हैं? और इंग्लिश स्कूलों में टीचर को फादर नहीं कहा जाता है। यहां ऐसा क्यों है?’

दूसरी तरफ सुरेश यादव ने कहा, ‘सरस्वती को मां कहने में कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं है। मां और बहनजी तो आदर के शब्द हैं। हम लोग बुजुर्ग महिला को माताजी कहकर सम्मान देते हैं और किसी भी युवती को बहनजी कहकर आदर देते हैं। हम किसी भी संबोधन से पहले माताएं और बहनें कहते हैं। लेकिन हम किसी को पिता नहीं कहते हैं। बस्तर कैथलिक कम्युनिटी के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा किसी को आहत करने का इरादा कभी नहीं रहा है। हमने किसी पर कभी भी फादर कहने कहा दबाव नहीं बनाया। हमलोग अब सरस्वती की मूर्ति लगाने पर भी राजी हो गए हैं।’

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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