मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दुओं को केवल प्रतिकार नहीं, अपितु आक्रमकता के साथ प्रहार करना आवश्यक ! – श्री. शिवप्रसाद जोशी
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कायसूव-बार्देश (गोवा) : यहांके श्री सिद्धेश्वर सभागृह, कायसूव, बार्देश में २३ नवम्बर को हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा हिन्दू धर्मजागृति सभा आयोजित की गई । इस सभा में बोलते समय हिन्दू महासभा के श्री. शिवप्रसाद जोशीने प्रतिपादित किया कि यदि महान हिन्दू संस्कृति टीकी, तो ही हम टिकेंगे । गोवा में तथा भारत में बिलिवर्सपंथीय विविध लालच दर्शाकर हिन्दूधर्मियों को कलंकित कर रहे हैं । धर्मांध लवजिहाद के माध्यम से माता-बहनोंको अपने धर्म से तोड रहे हैं । अनेक वर्षोंतक हिन्दुओंने प्रतिकार किया । हिन्दुओंने आक्रमता के साथ प्रहार किया, तो ही हिन्दू टिकेंगे । अब प्रहार करने का समय आ गया है । इस अवसरपर व्यासपीठ गणेशपुरी, म्हापसा के श्री गणेश मन्दिर के पुरोहित श्री. विश्वजीत फडके, सनातन संस्था के श्री. तुलसीदास गांजेकर एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सत्यविजय नाईक उपस्थित थे ।
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श्री. शिवप्रसाद जोशी ने आगे कहा कि वर्तमान समय में ‘वैलेंटाईन डे,’ ‘रोज डे’ ऐसी कुप्रथाएं चालू हो गई हैं । अब ‘चुंबन डे‘ की पद्धति आई है / (थेर आले आहे) । यदि ये कुप्रथाएं नहीं रोकी गईं, तो एक दिन धर्मांध हिन्दू ‘डेथ डे’ मनाएंगे । यह षडयंत्र जानकर ईसाईयों की कॉन्वेंट शालाओंका बहिष्कार करना चाहिए । अनेक ईसाई
एवं अन्य धर्मियोंको हिन्दूओंके धर्मपालन से आनंद मिल रहा है ।
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समयकी आवश्यकताको ध्यानमें लेकर हम सब एकत्रित आकर धर्म, संस्कृति तथा परिवारोंकी रक्षा करें ! – श्री. विश्वजीत फडके, गणेशपुरी, म्हापसा के श्री गणेश मन्दिर के पुरोहित
व्यक्ति के संस्कारहीन होने से अनाचार, दुराचार बढते हैं । लवजिहाद के बडे आक्रमण हो रहे हैं । माता-बहनोंको बचाने हेतु, संस्कृति एवं संस्कार संजोने हेतु धर्मजागरण की अत्यंत आवश्यकता है । मन्दिरों के माध्यम से हम धर्मजागरणवर्ग आयोजित कर सकते हैं । यदि सभी मन्दिरोंके पदाधिवारियोंने धर्मरक्षा करनेका निश्चय किया, तो धर्मरक्षा सहज रूप से सम्भव है । मस्जिदें, एवं चर्च तथा कान्वेंट के माध्यम से परधर्मीय अपने धर्मकी शिक्षा देते हैं; परंतु हिन्दुओंके लिए ऐसी सुविधा नहीं है । इसलिए एकत्रित आकर धर्म, संस्कृति एवं परिवार की रक्षा करें ।
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अपनी गोमाता, भगवान तथा मन्दिर प्राण से भी अधिक प्रिय है, यह दिखाने का समय आ गया है !- श्री. तुलसीदास गांजेकर, सनातन संस्था
४ सहस्रों वर्षपूर्व पूरी पृथ्वीपर एक समय हिन्दू धर्म था; परंतु आर्य अर्थात हिन्दू बाहर से आए, ऐसा चूक इतिहास सिखाया जा रहा है । अमेरिका में इंका एवं माया संस्कृति हिन्दू धर्मपर आधारित थी । इंडोनेशिया, थाइलण्ड आदि देशों में हिन्दू संस्कृति के अवशेष हैं ।
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यदि हिन्दू राष्ट्रका सवेरा देखना चाहते हो, तो संघर्ष करना अनिवार्य है ! – श्री सत्यविजय नाईक, हिन्दू जनजागृति समिति
कांग्रेसवालोंने इस देश को नष्ट कर डाला । सत्तापरिवर्तन होनेपर भी हिन्दुओंकी वैसी ही दुरावस्था है । युद्धखोर पाकिस्तानपर अबतक धाक नहीं जमी । धर्मांध औवेसी थरथराट कर रहे हैं । अबतक भारत के अनेक राज्यों में दंगे चालू ही हैं । आई.एस.आई. समान संगठन अब भारत में भी सक्रिय हो गया है । हिन्दू यदि इसीप्रकार निद्रिस्त रहे, तो भविष्य में धर्मांध हिन्दुओंका गला काटने में संकोच नहीं करेंगे । भाजपा का शासन भी मुसलमानोंका तुष्टिकरण कर रहा है । लोकतंत्रके चुनावद्वारा अनेक युगोंतक टिकनेवाला राष्ट्र ला सकते हैं, इस भ्रम में हम न रहें । यदि ‘हिन्दू राष्ट्र’ का सूरज देखना चाहते हैं, तो संघर्ष करना ही पडेगा । शत्रुका कोथला बाहर
निकालनेवाले तथा बलात्कारियोंको नष्ट (चौरंगा) करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराजका आदर्श लेना पडेगा ।
क्षणिकाएं :
१. सभामें रामनाथी, फोंडाके सनातन आश्रमपर आक्रमणके सम्बन्धमें जानकारी देनेवाली दृक्श्राव्यचक्रिका दर्शाई गई ।
२. कार्यक्रमका सूत्रसंचालन श्रीमती रेषा गडेकर, श्री. पंकज बर्वे एवं श्री. शैलेश बेहरेने किया एवं आभारप्रदर्शन श्रीमती राजश्री गडेकरने किया । सभाकी परिसमप्ति श्लोक गाकर की गई ।
३. पाश्चात्त्य पर्यटकों के प्रभाववाले क्षेत्र में रहकर भी भारी संख्या में उपस्थित रहनेके लिए श्री. शिवप्रसाद जोशीने सभी हिन्दुओंका अभिनन्दन किया ।
४. श्री. शिवप्रसाद जोशी ने हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा पुरस्कृत धर्मपरिवर्तन तथा लवजिहाद ग्रन्थ दर्शाकर धर्मबन्धुओं से उन्हें क्रय करने की विनती की ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात