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राज्य के सभी मंदिरों में तंग और छोटे कपडों में प्रवेश पर रोक का निर्णय लागू करें – श्री. सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री महालक्ष्मी मंदिर में तंग और छोटे कपडों में प्रवेश पर रोक का प्रकरण

पश्‍चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति ने आवाहन किया है कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में महिला अथवा पुरुष श्रद्धालु तंग एवं छोटे कपडों में दर्शन करने न आएं । देवस्थान व्यवस्थापन समिति का यह प्रयत्न स्तुत्य है । हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संगठक श्री. सुनील घनवट ने यह नियम राज्य के सभी मंदिरों में लागू करने की मांग की है ।

तिरुपति मंदिर सहित देश के अनेक मंदिरों में तंग एवं छोटे कपडों में महिला एवं पुरुष श्रद्धालुआें को देवता का दर्शन नहीं करने दिया जाता । कुछ मंदिरों में स्थानीय प्रथा-परंपरा के अनुसार पोषाख के नियम हैं । गर्भगृह में जाकर दर्शन करना हो, तो रेशमी वस्त्र परिधान कर ही जाना पडता है । उसका सटीक पालन होना चाहिए, ऐसी हमारी भूमिका है ।

सार्वजनिक जीवन में भी ऐसे नियमों का पालन करना पडता है । अनेक प्रतिष्ठान, कार्यालयों में महिला एवं पुरुषों के लिए विशिष्ट पोषाख (ड्रेस कोड) निश्‍चित होता है । विद्यालय-महाविद्यालय, पुलिस विभाग, चिकित्सालय आदि स्थानों पर गणवेश होता है तथा विशिष्ट पोषाख होता है । वहां सर्व नियमों का पालन होता है, तब मंदिरों में ऐसे नियम बनाने पर विरोध क्यों किया जा रहा है ? यह विषय धर्म से संबंधित होने के कारण ही केवल तथाकथित आधुनिकतावादी लोगों द्वारा यह विरोध किया जा रहा है । जिनकी ईश्‍वर पर श्रद्धा नहीं है, वे लोग विधान कर रहे हैं कि ईश्‍वर के द्वार पर कैसे जाना है, यह हम निश्‍चित करेंगे । मंदिर में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए, यह आधुनिकतावादी नहीं, अपितु धार्मिक क्षेत्र के अधिकारी व्यक्ति को निश्‍चित करना चाहिए ।

मंदिर हिन्दुआें के लिए चैतन्य का स्रोत हैं । वहां की शक्ति, चैतन्य, सात्त्विकता, ऊर्जा श्रद्धालुआेंको भावपूर्ण पूजा करने पर ही मिलती है; परंतु सात्त्विक वस्त्र परिधान करने पर वह अधिक मात्रा में ग्रहण कर पाते हैं तथा उसका लाभ होता है, ऐसा अध्यात्मशास्त्र कहता है । समिति की ओर से आवाहन किया जा रहा है कि श्रद्धालु, इन कथित आधुनिकतावादियों के कुप्रचार के भुलाव मेंे न आकर धर्मपालन करें ।

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