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श्रीलंका : ईसाई मिशनरियोंद्वारा हिन्दुआें को लालच दिखाकर धर्मांतर करने की घटनाआें में बढोतरी !

श्रीलंका के हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदनद्वारा अनुभव की गई हिन्दुआें की दयनीय स्थिति !

श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन श्रीलंका के हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही हिन्दू समाज एवं मंदिरों की रक्षा करनेवाला संगठन ‘शिवसेनाई’ के संस्थापक हैं एवं उन्होंने साधना कर ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है। श्रीलंका में ईसाई मिशनरियोंद्वारा हिन्दुआें के हो रहे धर्मांतर के विरोध में श्री. सच्चिदानंदनद्वारा किया गया संघर्ष उन्हीं की शब्दों में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं . . .

१. विरोध करनेवाले हिन्दुआें पर ईसाई मिशनरियोंद्वारा धर्मांतर का दबाव !

१७ सितंबर २०१८ को मैं श्रीलंका के एक दुर्गम क्षेत्र में स्थित कात्तैय्यादम्पण चेत्तीरामामाकन् गांव में कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ गया था। वहां के एक गिरे हुए मंदिर में वहां के हिन्दू श्रद्धालु भगवान शिवजी का नामजप कर रहे थे। जप समाप्त होने पर वे हमारे पास एकत्रित बैठ कर अपनी व्यथाएं बताने लगें।

एक वयस्क महिला ने बताया कि उस गांव में ईसाई मिशनरी हिन्दुआें का बलपूर्वक धर्मांतर कर रहे हैं ! गांव के ५० हिन्दू परिवारों में से १५ परिवारों ने ईसाई धर्म का स्वीकार किया है। उन्हें अन्न, कपडे और घर का लालच दिखाकर उनका धर्मांतर किया गया; परंतु शेष ३५ हिन्दू परिवारों ने ईसाई धर्म में प्रवेश करना अस्वीकार करने से उन पर दबाव डालने के प्रयास चल रहे हैं ! उस गांव में ईसाईयोंद्वारा एक चर्च भी बनाया गया है। दूसरी ओर वहां के हिन्दुआें के पास इस एकमात्र गिरे हुए मंदिर का पुननिर्माण करने के लिए भी पैसे नहीं हैं ! यहां के हिन्दू चाहे दयनीय जीवन जी रहे हैं; परंतु अभी भी उनमें स्वाभिमान जागृत है। इस गांव के हिन्दू पुजारियों को दक्षिणा न मिलने से वे इस मंदिर में नहीं आते !

श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन

२. सरकारी विद्यालयों में ईसाई धर्म की शिक्षा; परंतु हिन्दुआें के धर्माचरण पर प्रतिबंध !

इस गांव में हिन्दू धर्म की जानकारी देनेवाला कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं हैं। यहां के बच्चे निकट के सरकारी विद्यालय में जाते हैं, जहां ईसाई पंथ की प्रबलता है। वहां लडकों के विभूति लगाने एवं लडकियों के कंगन पहनने पर प्रतिबंध है। लडकों के हाथों में बांधे गए लाल धागे तोड दिए जाते हैं। कुछ अभिभावकों ने इसके विरोध में शिक्षाधिकारी के पास परिवाद करने पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने इनके बच्चों को दंडित करना आरंभ किया ! सरकारी विद्यालयों में ईसाई पंथ की शिक्षा दी जाती है; परंतु हिन्दू धर्म की शिक्षा कहीं भी नहीं दी जाती !

३. गांव में हिन्दुआें को धर्म की जानकारी देकर उनके उद्बोधन हेतु किए गए प्रयास !

मैने वहीं से जर्मनी में रहनेवाले मेरे परिचय के एक व्यक्ति को भ्रमणभाष कर श्रीलंका के कात्तैय्यादम्पण चेत्तीरामामाकन् गांव में हिन्दू धर्म की जानकारी देनेवाली पुस्तकें भेजने का अनुरोध किया और उसने उसे स्वीकार किया। यह सुनते ही वहां उपस्थित हिन्दुआें के मुखकमल आनंदित हो गए ! मैने उन्हें एक लघुउद्योग आरंभ कर उससे होनेवाली आय से मंदिर के नवनिर्माण करने की सूचना की, जिसे सभी ने स्वीकार किया, साथ ही मैने उन्हें उनके मन में व्याप्त भय को निकाल देने का भी आवाहन किया और उन्हें ईश्‍वर उनके साथ हैं, इस बात से उन्हें आश्‍वस्त किया। उसके पश्‍चात मैं कार्यकर्ताआें के साथ एक हिन्दू के घर गया। वहां की एक युवती ने धर्मांतर किया था। हमने उसे समझा कर उसको पुनः हिन्दू धर्म में लिया और घर पर लगाने के लिए एक नंदीध्वज दिया !

४. श्रीलंका में हिन्दुआें की जनसंख्या में घट, तो ईसाईयों की जनसंख्या में बढोतरी !

श्रीलंका में विगत १२ वर्षों में ईसाईयों की जनसंख्या ४४ प्रतिशत से बढी, तो हिन्दुआें की जनसंख्या १६ प्रतिशत से न्यून हुई ! लगभग ४०० वर्ष पूर्व पोर्तुगीजों ने श्रीलंका में मन्नार में कदम रखा और हिन्दुआें का धर्मांतर प्रारंभ हुआ ! तत्कालीन हिन्दू राजा ने ४०० धर्मांतरित लोगों का शिरच्छेद किया। आज ही पेसालाई गांव में प्रार्थना कर इन धर्मांतरितों को श्रद्धांजली दी जाती है; परंतु ४०० वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया धर्मांतर आज भी अन्न, वस्त्र और निवास का लालच दिखाकर चल ही रहा हैं !

Siva Senai was started after consultations with many organisations in India, including the Shiv Sena, RSS, VHP and the Goa-based Hindu Jana Jagruthi Samithi.

५. शिवसेनाई संगठनद्वारा धर्मांतर करनेवाले ईसाईयों का विरोध !

लिबरेशन टाईगर्स ऑफ तमिल ईलम् (एलटीटीई) के विरोध में चल रहा युद्ध समाप्त होने के पश्‍चात विगत ७ वर्षों में वहां के हिन्दुआें के धर्मांतरण की घटनाआें की गति अधिक तीव्र हो गई ! वर्ष २०१६ में हमने इस धर्मांतरण के विरोध में संघर्ष करने के लिए ‘शिवसेनाई’ इस संगठन की स्थापना की। हमारे स्वयंसेवक गांव-गांव घूमने लगे। उन्होंने गांव-गांव में लगाए गए क्रॉस हटा दिए। मंदिरों की ओर जानेवाली सडकों पर खडी की गई बाधाआें को दूर किया। ईसाईयोंद्वारा धमकियां दी जाने से बंद किए गए हिन्दू त्योहारों को पुनः मनाना आरंभ किया गया। गांव-गांव में हिन्दुआें के घरों के सामने नंदीध्वज खडे किए गए। चर्च के पदाधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे गए पत्रों में शिवसेनाई संगठन के विरोध के कारण नए क्षेत्रों में धर्मांतर के कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, इसे अनुमोदित किया !

इस क्षेत्र में ६ सहस्र हिन्दू परिवार रहते हैं। उन सभी के सामने धर्मांतरण का संकट है ! चर्च के पास युरोप और अमेरिका से आनेवाली प्रचुर धनराशि उपलब्ध है ! हिन्दुआें का मनोबल गिराने के लिए इस धनराशि का दुरूपयोग किया जा रहा है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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