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राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों के विरोध में अधिवक्ताआें का योगदान आवश्यक ! – अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर

हिन्दू जनजागृति समिति के हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान के अंतर्गत सोलापुर में हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा अधिवक्ताओं की बैठक

बैठक को संबोधित करते हुए श्री. राजन बुणगे एवं अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर (१)

सोलापुर (महाराष्ट्र) : आजतक केवल हिन्दू मंदिरों का ही सरकारीकरण किया गया है। शासन ने मंदिर में चल रही अनियमितताएं दूर करने के लिए प्रयास करना अपेक्षित था; परंतु सरकारीकरण के पश्‍चात मंदिरों में पहले से भी अधिक भ्रष्टाचार हो रहा है ! मंदिर हिन्दुआें के ऊर्जास्रोत हैं। सरकार इन ऊर्जास्रोतों को ही नष्ट करने का प्रयास कर रही है ! राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने हेतु एक अधिवक्ता के रूप में हमें दायित्व लेकर कार्य करना आवश्यक है। धर्म के लिए किया जानेवाला कोई भी कार्य अनंत काल तक टिका रहता है; इसलिए कार्य के सफलता की चिंता न करें; क्योंकि हिन्दुआें के पीछे सफलता का इतिहास है ! सूचना अधिकार के अंतर्गत कार्रवाई होना प्रारंभ हुआ, तो हिन्दू राष्ट्र दूर नहीं है ! हिन्दू विधिज्ञ परिषद के महाराष्ट्र अधिवक्ता संगठक एवं हिन्दू जनजागृति समितिप्रणीत हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सुराज्य अभियान के समन्वयक अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर ने ऐसा प्रतिपादित किया। यहां आयोजित अधिवक्ताओं की बैठक में वे बोल रहे थे। बैठक के पश्‍चात चर्चात्मक सत्र में हर मास में अधिवक्ताआें के साथ बैठक करना सुनिश्‍चित किया गया। इस अवसर पर हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा किए गए कार्य की ध्वनिचित्रचक्रिका दर्शाई गई।

इस अवसर पर अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर ने पंढरपुर एवं तुळजापुर के मंदिरों में हुए भ्रष्टाचार के विरोध में हिन्दू विधिज्ञ परिषदद्वारा किया गया न्यायालयीन संघर्ष एवं उसे प्राप्त सफलता इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. राजन बुणगे ने समिति का कार्य एवं हिन्दू धर्म और हिन्दुआेंपर हो रहे विविध आघातों के संदर्भ में जानकारी दी, साथ ही इन आघातों के विरोध में अधिवक्ताआें के योगदान की आवश्यकता पर भी बल दिया !

अधिवक्ताआें का मनोगत

अधिवक्ता श्री. लक्ष्मण मारडकर : राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने के लिए अधिवक्ताआें के संगठन की आवश्यकता है !

अधिवक्ता श्री. दीपक केसकर : राष्ट्र-धर्म के पवित्र कार्य के लिए अधिवक्ताआें ने समय निकालना ही चाहिए !

अधिवक्ता श्री. प्रवीण उत्तरकर : बैठक से योग्य दिशादर्शन हुआ। धर्म का कार्य करते समय अधिवक्ताआें में संकीर्णता नहीं, अपितु समर्पण की वृत्ति आवश्यक है, यह भी ध्यान में आया !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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